हर साल नवंबर, दिसंबर में दिल्ली में हिंदी फिल्मों का यह गाना खूब चर्चा में रहता है कि ‘आंखों में जलन, सीने में तूफान सा क्यूं है, इस शहर में हर शख्स परेशान सा क्यूं है’। इस साल भी ऐसा ही है। आंखों में जलन है, गले में खराश है, सीने में तूफान सा है,… Continue reading आंकड़े छिपाने से हकीकत नहीं बदलती
