आंकड़े छिपाने से हकीकत नहीं बदलती

हर साल नवंबर, दिसंबर में दिल्ली में हिंदी फिल्मों का यह गाना खूब चर्चा में रहता है कि ‘आंखों में जलन, सीने में तूफान सा क्यूं है, इस शहर में हर शख्स परेशान सा क्यूं है’। इस साल भी ऐसा ही है। आंखों में जलन है, गले में खराश है, सीने में तूफान सा है,… Continue reading आंकड़े छिपाने से हकीकत नहीं बदलती

एसआईआर में सावधानी बरतने की जरुरत

चुनाव आयोग मतदाता सूची की सफाई के लिए विशेष गहन पुनरीक्षण यानी एसआईआर का दूसरा चरण शुरू कर चुका है। अगले साल चुनाव वाले चार राज्यों के साथ साथ 12 राज्यों में यह प्रक्रिया चलेगी। इन 12 राज्यों में मतदाता सूची फ्रीज कर दी गई है और चार नवंबर से पहले चरण यानी मतगणना प्रपत्र… Continue reading एसआईआर में सावधानी बरतने की जरुरत

बचत से कर्ज की ओर बढ़ रहा है भारत

भारत के प्राचीन दर्शन में कर्ज लेकर घी पीने की सलाह देने वाले ऋषि भी हुए हैं। कर्ज की मय पीकर फाकामस्ती के रंग लाने की उम्मीद पालने वाले शायर भी हुए। लेकिन भारत के लोगों ने कभी भी कर्ज लेकर घी या मय पीने को जीवन का सिद्धांत नहीं बनाया। इसकी बजाय भारत मितव्ययिता… Continue reading बचत से कर्ज की ओर बढ़ रहा है भारत

प्रवासी बिहारियों की मुश्किलों का हल नहीं!

देश के अलग अलग हिस्सों से मीडिया और सोशल मीडिया में तस्वीरें आ रही हैं कि कैसे बिहार के लोग ट्रेन की बोगियों में घुसने के लिए स्टेशनों पर धक्कामुक्की कर रहे हैं। कैसे गुजरात, महाराष्ट्र, पंजाब, हरियाणा और दिल्ली के स्टेशनों के बाहर लंबी लंबी कतारों में घंटों खड़े रह रहे हैं और उसके… Continue reading प्रवासी बिहारियों की मुश्किलों का हल नहीं!

पटाखे चलाना भी धर्म का काम!

इस साल भी और पिछले कई सालों से दिवाली के मौके पर ‘तमसो मा ज्योतिर्गमय’ से ज्यादा ‘धर्मो रक्षति रक्षितः’ के संदेश देखने को मिले। अंधकार से प्रकाश की ओर चलने या असत्य से सत्य की ओर बढ़ने से ज्यादा हर व्यक्ति धर्म की रक्षा को आतुर दिखा और धर्म की रक्षा कैसे होगी? पटाखे… Continue reading पटाखे चलाना भी धर्म का काम!

जाति आधारित पार्टियां लोकतंत्र का भविष्य हैं!

क्या इसे भारत में अपनाई गई बहुदलीय लोकतंत्र के मजबूत होने का संकेत मानें या कुछ और कि भारत में लगातार राजनीतिक दलों की संख्या बढ़ रही है? हर चुनाव से पहले राज्यों में कई नई पार्टियां बनती हैं। हर पार्टी को कोई न कोई गठबंधन मिल जाता है। राष्ट्रीय स्तर पर दो बड़े गठबंधन… Continue reading जाति आधारित पार्टियां लोकतंत्र का भविष्य हैं!

राहुल पर बढ़ती कांग्रेस की निर्भरता

ऐसा लग रहा है कि कांग्रेस पार्टी पूरी तरह से राहुल गांधी पर निर्भर होती जा रही है। उनके बगैर कांग्रेस में न तो कोई फैसला हो पा रहा है और न कोई राजनीतिक गतिविधि चल पा रही है। यहां तक कि खुद राहुल की ओर से जो एजेंडा स्थापित किया जा रहा है उसको… Continue reading राहुल पर बढ़ती कांग्रेस की निर्भरता

चुनाव जीतने का बारीक प्रबंधन

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपने को बिहार की राजनीति के लिए तो अपरिहार्य बनाया ही है साथ ही उन्होंने बिहार की दोनों बड़ी राजनीतिक शक्तियों भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रीय जनता दल के लिए भी अपने को अपरिहार्य बनाया। उन्होंने बिहार की राजनीति को वह रूप दिया है, जिसमें किसी भी पार्टी की… Continue reading चुनाव जीतने का बारीक प्रबंधन

आसानी से विदा नहीं होंगे नीतीश

एक बार फिर नीतीश कुमार का समाधि लेख लिखा जा रहा है। पटना से लेकर दिल्ली तक के राजनीतिक विश्लेषक लिख रहे हैं कि नीतीश की लंबी राजनीतिक पारी का अंत आ गया है। एनडीए के सीट बंटवारे में भाजपा और जनता दल यू के बराबर सीटों पर लड़ने और चिराग पासवान की पार्टी को… Continue reading आसानी से विदा नहीं होंगे नीतीश

एक सक्षम फूड एंड ड्रग रेगुलेटर की जरुरत

भारत में खाने पीने की चीजों की गुणवत्ता की निगरानी करने के लिए भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण यानी एफएसएसएआई है। इसे 2006 में बनाया गया था और यह केंद्रीय स्वास्थ्य व परिवार कल्याण मंत्रालय के तहत काम करता है। इसी तरह दवाओं की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन… Continue reading एक सक्षम फूड एंड ड्रग रेगुलेटर की जरुरत

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