मुसीबत बताना जुर्म है!

संभवतः सरकार की निगाह में उससे असहमत या उसकी नाकामियों पर बात करने वाली हर आवाज अवैध है, इसलिए प्रदूषण पर बेफिक्री के खिलाफ इंडिया गेट पर जुटे महिलाओं और बुजुर्गों तक को पुलिस जबरन अपनी बसों में ले गई। दिल्ली में जहरीली हुई हवा पर सरकारी बेफिक्री के खिलाफ नई दिल्ली में इंडिया गेट… Continue reading मुसीबत बताना जुर्म है!

संकट का नया बिंदु

जोहरान ममदानी की जीत से अमेरिका में राजनीतिक ध्रुवीकरण तीखा होने के साथ-साथ कई स्तरों पर विभाजन बढ़ने की आशंका है। वैसे यह कोई छोटी विडंबना नहीं है कि दुनिया के सर्व-प्रमुख वित्तीय महानगर का मेयर अब एक डेमोक्रेटिक सोशलिस्ट है! जोहरान मामदानी के विजयी होने पर एक टीकाकार ने कहा है कि न्यूयॉर्क के… Continue reading संकट का नया बिंदु

विषमता है एक घुन

जिस छोटे से तबके के हाथ में धन केंद्रित होता है, सरकारी नीतियों पर उसका शिकंजा कस जाता है। यानी गैर-बराबरी ऐसा घुन है, जो लोकतंत्र को कुतर डालती है। भारत में अमीर- गरीब की खाई तेजी से बढ़ी है। भारत में आर्थिक गैर-बराबरी अत्यधिक बढ़ चुकी है, यह कोई नया तथ्य नहीं है। नई… Continue reading विषमता है एक घुन

फिर कॉरपोरेट बेलआउट

जब ऐसे कदम उठाए जाते हैं, तो उसके लिए तर्क गढ़ लिए जाते हैँ। रोजगार बचाना आम दलील है। वीआई के मामले में यह भी कहा गया कि कंपनी फेल हुई, तो बाजार में जियो और एयरटेल का द्वि-अधिकार हो जाएगा। आलोचक अक्सर कहते हैं कि मुक्त बाजार अर्थव्यवस्था का वास्तविक अर्थ हैः फायदे का… Continue reading फिर कॉरपोरेट बेलआउट

अजीब ये नजरिया है

क्या उससे इस बात से परदा हटेगा कि दिवाली को- जिस रोज एक्यूआई के अति असामान्य स्तर तक जाता रहा है- अधिकांश मशीनें बंद क्यों थीं? और क्या सचमुच मशीनों के पास जल छिड़काव कर स्थिति बेहतर दिखाने की कोशिश हुई? आरोप पहले से लग रहे थे। अब ये बात सुप्रीम कोर्ट की कार्यवाही में… Continue reading अजीब ये नजरिया है

भारत की विश्व विजय

महिला क्रिकेट में भारत का चैंपियन बनना एक युगांतकारी घटना बन सकती है। यहां से संभव है कि मुख्य मुकाबले की धुरी उसी तरह खिसक जाए, जैसा पुरुष क्रिकेट में वेस्ट इंडीज के उदय के साथ 1970 के दशक में हुआ था। भारत की महिला क्रिकेट टीम ने आखिरकार उस शिखर पर विजय पताका लहराया… Continue reading भारत की विश्व विजय

अविश्वास का फैलता दायरा

विपक्षी खेमों में एसआईआर के खिलाफ भावनाएं सिर्फ चंद राज्यों तक सीमित नहीं हैं। बल्कि यह राष्ट्र-व्यापी मुद्दा बना हुआ है। हैरतअंगेज है कि इसके बावजूद निर्वाचन आयोग ने विपक्षी दलों से संवाद शुरू करने की जरूरत नहीं समझी है। एक नवंबर को मुंबई में शिवसेना और महाराष्ट्र नव-निर्माण सेना के नेतृत्व में कई विपक्षी… Continue reading अविश्वास का फैलता दायरा

बात एकतरफा ना रहे

फाउंडेशनल एग्रीमेंट्स के साथ भारत अमेरिका की सामरिक रणनीति में सहयोगी बना, तो अपेक्षा थी कि अमेरिका भारत की सुरक्षा के प्रति समान रूप से संवेदनशील बनेगा। लेकिन ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारतीय उम्मीदों पर अमेरिका खरा नहीं उतरा। भारत- अमेरिका के बीच रक्षा संबंध और गहरा करने के लिए दस साल के फ्रेमवर्क समझौते… Continue reading बात एकतरफा ना रहे

बढ़ता कर्ज, घटती संपत्ति

साल 2019 के बाद से भारतीय परिवारों की औसत संपत्ति 48 प्रतिशत बढ़ी है, लेकिन इसी दौरान उपर कर्ज का बोझ 102 फीसदी बढ़ गया है। इसके पहले भारतीय परिवारों की बचत में भारी गिरावट के तथ्य सामने आ चुके हैं। परिवारों में बचत की घटी क्षमता के कारण उन पर कर्ज बढ़ने और उनकी… Continue reading बढ़ता कर्ज, घटती संपत्ति

मालूम बातों का दोहराव

भारत में सेवा क्षेत्र की केंद्रीय भूमिका है, लेकिन इसके भीतर अधिकांश कर्मियों को रोजगार सुरक्षा या सामाजिक संरक्षण हासिल नहीं है। अर्थव्यवस्था में सबसे ज्यादा योगदान के बावजूद सेवा क्षेत्र के कर्मी निम्न वेतन जाल में फंसे हुए हैं। नीति आयोग ने समस्या पर रोशनी डाली है, लेकिन ठोस समाधान सुझाने में विफल रहा… Continue reading मालूम बातों का दोहराव

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