अरावली को बख्श दें

जब देश में प्रदूषण के भयंकर नतीजे देखने को मिल रहे हैं, उस समय अरावली की परिभाषा बदलने का विचार आया ही क्यों? समस्या विकास और समृद्धि की वह समझ है, जिसमें शुद्ध वातावरण की जरूरत मायने नहीं रखती। केंद्रीय पर्यावरण मंत्री के इस स्पष्टीकरण से शायद ही कोई आश्वस्त हो कि अरावली पहाड़ियों की… Continue reading अरावली को बख्श दें

ओमान के बाद न्यूजीलैंड!

ओमान के साथ पिछले वित्त वर्ष में भारत का कुल कारोबार 10.6 बिलियन डॉलर था। न्यूजीलैंड के साथ 1.3 बिलियन डॉलर का कारोबार हुआ था। उम्मीद है कि इन देशों में भारत के सेवा क्षेत्र की अब अधिक पैठ बन सकेगी। खबर है कि यह साल खत्म होने से पहले न्यूजीलैंड के साथ भारत का… Continue reading ओमान के बाद न्यूजीलैंड!

धरातल की असमानता

इलेक्ट्रॉल ट्रस्ट्स में मौटे तौर पर पूंजीपति ही योगदान करते हैं। इलेक्ट्रॉल बॉन्ड्स के जरिए वे ही चंदा दे रह थे। मगर यह नहीं लगता कि इलेक्ट्रॉल बॉन्ड्स के रद्द होने से राजनीतिक चंदे के स्वरूप पर कोई फर्क पड़ा है। विभिन्न इलेक्ट्रॉल ट्रस्ट्स ने 2024-25 में विभिन्न पार्टियों को दिए गए चंदे की जो… Continue reading धरातल की असमानता

घुप्प अंधकार की खाई

इस्लामी व्यवस्था की समर्थक शक्तियां अब बांग्लादेश की राजनीतिक मुख्यधारा का हिस्सा हैं, जिनका वैचारिक या सांगठनिक मुकाबला करने वाली कोई शक्ति प्रभावशाली नहीं रह गई है। समाज उग्रता एवं चरमपंथ की तरफ बढ़ता नजर आ रहा है। बांग्लादेश में हिंसा और उपद्रव की ताजा घटनाओं का संकेत है कि वहां ऐसी चिनगारियां लगातार सुलग… Continue reading घुप्प अंधकार की खाई

कैसे हो कौशल विकास?

पहली जरूरत तो यह है कि स्किल इंडिया योजना में जहां भ्रष्टाचार के संकेत मिले हैं, उसके दोषी लोगों की जवाबदेही तय की जाए। दूसरी बात यह समझने की है कि ऐसी योजनाओं से बेरोजगारी की समस्या खत्म नहीं मिलेगी। स्किल इंडिया यानी प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना शुरू होने के कुछ समय बाद ही इसको… Continue reading कैसे हो कौशल विकास?

संबंध में चुभा कांटा

बांग्लादेश में अब सिर्फ यह मसला नहीं है कि वहां भारत विरोधी उग्रवादी तत्व सक्रिय हैं। बल्कि अब वहां भारत विरोध पर आम सहमति बन गई है। तमाम समूह भारत पर बांग्लादेश की संप्रभुता की अनदेखी करने का इल्जाम लगा रहे हैं। भारत और बांग्लादेश के रिश्तों में फंसे कांटे की चुभन लगातार तीखी होती… Continue reading संबंध में चुभा कांटा

सैलानियों ने मुंह मोड़ा?

भारतीय पर्यटन स्थल सैलानियों को क्यों आकर्षित नहीं कर पा रहे हैं? कारोबार से जुड़े लोगों के मुताबिक भारत में पर्यटन अधिक महंगा है, यहां का बुनियादी ढांचा कमजोर है, और सुरक्षा संबंधी चिंताएं हमेशा संगीन बनी रहती हैं। एक और साल भारत में पर्यटन कारोबार के लिए निराशाजनक साबित हो रहा है। अब तक… Continue reading सैलानियों ने मुंह मोड़ा?

ईडी का बेनकाब होना

नेशनल हेराल्ड मामले में वैध एफआईआर ही मौजूद नहीं है। क्या ईडी के अधिकारियों को कानून की इतनी बुनियादी जानकारी भी नहीं है? या जब मामला विपक्षी नेताओं से संबंधित हो, तो वे नियम- कानून की कोई परवाह नहीं करते? नेशनल हेराल्ड मामले में सोनिया गांधी, राहुल गांधी और अन्य कांग्रेस नेताओं को राहत मिली,… Continue reading ईडी का बेनकाब होना

शांति से ऊर्जा समृद्धि?

संचालक कंपनी पर अधिकतम जुर्माना 3000 करोड़ रुपये का ही लग सकेगा। नुकसान उससे ज्यादा हुआ, तो जुर्माना सरकार भरेगी। लेकिन जब स्वामित्व निजी कंपनी का होगा, तो पीड़ितों को मुआवजे का बोझ करदाताओं पर क्यों डाला जाना चाहिए? परमाणु ऊर्जा क्षेत्र को निजी निवेश के लिए खोलने का पेश बिल आज के चलन के… Continue reading शांति से ऊर्जा समृद्धि?

असल तो नजरिया बदला

मनरेगा के जी राम जी में बदलने से निवेशकों और धनी इलाकों के किसानों को सस्ती दर पर मजदूर मिल सकेंगे। मनरेगा से इसमें बाधा आई थी और यह इन तबकों की इस कानून से आरंभ से ही एक बड़ी शिकायत थी।  मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी अधिनियम) को वीबी- जी राम जी (विकसित… Continue reading असल तो नजरिया बदला

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