पांच साल, पांच पीएम

जापान में 1955 में वर्तमान संविधान लागू होने के बाद के 70 वर्षों में से 66 साल एलडीपी ही सत्ता में रही है। फिर भी देश राजनीतिक अस्थिरता के दौर में है। उसकी वजहें देश में गहराया मायूसी का माहौल है। जापान में 2020 के बाद से हर साल प्रधानमंत्री बदलने का सिलसिला आगे बढ़… Continue reading पांच साल, पांच पीएम

मणिपुर का जटिल रास्ता

मैतई और कुकी-जो के बीच अविश्वास की खाई इतनी गहरा चुकी है कि उनमें से किसी एक को पसंद आने वाले करार से दूसरा समुदाय भड़क जाता है। दोनों समुदायों के बीच भड़की हिंसा के बाद से हालात सुलगते रहे हैं। केंद्र और मणिपुर के कुकी-जो समुदाय के विद्रोही संगठनों के बीच एक दूसरे पर… Continue reading मणिपुर का जटिल रास्ता

आर-पार की शर्त

अमेरिकी शर्त है कि भारत को अपना बाजार खोलना होगा। उसे रूसी तेल की खरीद रोकनी होगी। ब्रिक्स का साथ छोड़ना होगा। डॉलर को समर्थन देना होगा। वह या तो अब अमेरिका के साथ रह सकता है, या चीन- रूस के साथ। डॉनल्ड ट्रंप का भारत के खिलाफ सुर नरम हुआ है। उससे भारत के… Continue reading आर-पार की शर्त

आर्थिक, या भूल सुधार?

अनेक वस्तुओं एवं सेवाओं पर जीएसटी घटाई गई है। इससे लोगों को राहत मिलेगी। यह स्वागतयोग्य है। मगर इसे पहले किए गए भूल का सुधार ही माना जाना चाहिए। इससे बहुत ज्यादा उम्मीद जोड़ने की जरूरत नहीं है। वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) की दो दरें खत्म करने और कुछ वस्तु एवं सेवाओं पर टैक्स… Continue reading आर्थिक, या भूल सुधार?

आरएसएस का अर्थ-चिंतन

संघ के अर्थ-समूह में कही गई बातें मोदी सरकार की आर्थिक सफलता के दावों का सिरे से खंडन करती हैँ। कहा जा सकता है कि ये भारत की जमीनी माली हालत का उचित वर्णन हैं। हालांकि ये बातें नई नहीं हैं। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के ‘अर्थ समूह’ की बैठक में वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी… Continue reading आरएसएस का अर्थ-चिंतन

इंसाफ का सवाल है

ये दलील अपनी जगह सटीक है कि अगर राष्ट्र के खिलाफ किसी ने कुछ किया है, तो उसे जेल में रहना चाहिए। मगर ऐसे इल्जाम न्यायिक प्रक्रिया के अंजाम पर पहुंचने से तय होंगे, या महज आरोप भर लग जाने से? फिलहाल मुद्दा यह नहीं है कि उमर खालिद, मीरान हैदर, गुलफिशा फातिमा, शिफा उर… Continue reading इंसाफ का सवाल है

इलाज से परहेज भला!

गुजरे 27 जून को विदेशी मुद्रा भंडार में 879.98 मिट्रिक टन सोना था। साल भर पहले की तुलना में यह लगभग 40 टन ज्यादा है। इस दौरान भंडार में अमेरिकी ट्रेजरी बिल 242 बिलियन डॉलर से घटकर 227 बिलियन डॉलर के रह गए। खबर दूरगामी महत्त्व की है। और यह संकेत है कि भारत भी… Continue reading इलाज से परहेज भला!

एससीओ का नया मुकाम

एससीओ ने लगभग सर्व-सम्मति से ऐसे साझा घोषणापत्र को मंजूरी दी, जिसमें अमेरिका केंद्रित विश्व व्यवस्था से अलग नजरिया झलका है। मतभेद का एकमात्र बिंदु चीन की महत्त्वाकांक्षी योजना बीआरआई के समर्थन का रहा, जिस पर भारत सहमत नहीं हुआ। शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की यात्रा में तिनजियान शिखर सम्मेलन एक नया मुकाम बना है।… Continue reading एससीओ का नया मुकाम

आश्चर्य से उपजा संदेह

गोल्डमैन शैक्स के अर्थशास्त्रियों की यह टिप्पणी महत्त्वपूर्ण हैः ‘जीडीपी वृद्धि दर की बताई गई संख्या संभवतः वास्तविक दर को बढ़ा-चढ़ा कर पेश कर रही है। कारण गणना में असामान्य रूप से न्यून डिफ्लेटर का इस्तेमाल है।’ भारत ने अप्रैल- जून तिमाही में जो आश्चर्यजनक ऊंची आर्थिक वृद्धि दर हासिल की, उससे सभी चकित हुए।… Continue reading आश्चर्य से उपजा संदेह

संबंध में संभल के

किसी अन्य देश को संदेश देने भर के लिए उसके प्रतिस्पर्धी या विरोधी देश से निकटता बनाना समस्याग्रस्त नजरिया माना जाएगा। इसे दूरदृष्टि पर आधारित और सुविचारित नीति परिवर्तन नहीं कहा जाएगा। इससे भविष्य में कई पेचीदगियां खड़ी हो सकती हैं। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मुलाकात के साथ दोनों… Continue reading संबंध में संभल के

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