महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना यानी मनरेगा की जगह विकसित भारत जी राम जी बिल लाने का कांग्रेस ने भी विरोध किया। कांग्रेस के सांसदों ने इसके खिलाफ दोनों सदनों में भाषण दिया। लेकिन लोगों का ध्यान खींचने वाले कार्यक्रम कांग्रेस नहीं कर सकी। संसद के अंदर कांग्रेस की ओर सोनिया और राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा को इसे बड़ा मुद्दा बनाना चाहिए था। लेकिन राहुल गांधी ऐन मौके पर जर्मनी के दौरे पर चले गए। वे परमाणु ऊर्जा और जी राम जी बिल पर हुई चर्चा के दौरान दिल्ली में नहीं थे। उधर राज्यसभा में सोनिया गांधी भी इस पर नहीं बोलीं। मल्लिकार्जुन खड़गे और जयराम रमेश ने उधर मोर्चा संभाला। तृणमूल कांग्रेस के सांसदों के प्रदर्शन में थोड़ी देर के लिए आम आदमी पार्टी के संजय सिंह बैठे, समाजवादी पार्टी की जया बच्चन और उद्धव ठाकरे की शिव सेना की प्रियंका चतुर्वेदी भी बैठीं। लेकिन कांग्रेस का कोई नेता उसमें शामिल नहीं हुआ।
कांग्रेस पार्टी ने 17 दिसंबर को देश भर के जिला मुख्यालयों पर प्रदर्शन का ऐलान किया। लेकिन चुनिंदा जगहों पर प्रदर्शन हुए और उनका भी कोई इम्पैक्ट नहीं हुआ। इसका कारण यह था कि कांग्रेस की ओर से इसे ठीक ढंग से कोऑर्डिनेट नहीं किया गया। कांग्रेस तैयारी करके सभी राज्यों के प्रभारियों को भेज कर प्रदेश कमेटियों से प्रदर्शन कराती। कांग्रेस के बडे नेता इसको मॉनिटर करते। यह महात्मा गांधी के नाम से जुड़ा मामला तो था लेकिन करोड़ों लोगों को लाभ पहुंचाने वाली योजना को समाप्त किए जाने का मुद्दा भी था। अब कांग्रेस पार्टी ने तय किया है कि 28 दिसंबर को कांग्रेस के स्थापना दिवस के दिन देश भर में इसे लेकर प्रदर्शन किया जाएगा। उससे पहले कांग्रेस ने 27 दिसंबर को कार्यसमिति की बैठक भी बुलाई है। उसमें भी इस पर विचार किया जाएगा। हालांकि कांग्रेस के ही कई नेता मान रहे हैं कि अगले 10 दिन में मोमेंटम वैसा नहीं रह जाएगा, जैसा अभी है।
