बिहार में राष्ट्रीय जनता दल में सब कुछ ठीक नहीं है। चुनाव नतीजों के बाद कई दिन तक समीक्षा बैठक हुई, जिसमें पार्टी के नेताओं ने खुल कर नाराजगी जाहिर ती। बैठक में शामिल एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि कोई सात दिन तक अलग अलग प्रमंडलों की बैठक हुई, जिसमें प्रदेश के वरिष्ठ पदाधिकारियों के साथ जिला स्तर के पदाधिकारी बैठे। उनका कहना था कि सबसे ज्यादा नाराजगी राज्यसभा सांसद संजय यादव को लेकर थी। पूरी पार्टी उनके खिलाफ थी और सबने कहा कि वे चुनाव लड़ने और लड़ाने की बजाय टिकट बेचने में व्यस्त थे। लेकिन ऐसा नहीं है कि जिला स्तर के नेता तेजस्वी यादव से नाराज थे। उन्होंने तेजस्वी के खिलाफ भी नाराजगी जताई और कहा कि उनको अपनी कोटरी यानी आसपास के चुनिंदा लोगों के चंगुल से निकलना चाहिए।
आरा के एक नेता ने पार्टी के कोषाध्यक्ष और एमएलसी सुनील सिंह पर निशाना साधा तो बक्सर की पूरी टीम इस बात से नाराज थी कि उपचुनाव में जब जगदानंद सिंह का बेटा तीसरे स्थान पर चला गया था तो फिर क्यों उनको टिकट दी गई? गौरतलब है कि जगदानंद सिंह के बेटे अजीत सिंह को रामगढ़ सीट से लड़ाया गया था, जहां उनके बड़े बेटे सुधाकर सिंह विधायक थे और अभी बक्सर के सांसद हैं। अजीत सिंह फिर तीसरे स्थान पर रहे। उनके चक्कर में इलाके के यादवों ने राजद का साथ छोड़ दिया। तेजस्वी यादव के करीबी लोगों में से इंजीनियर सुनील यादव भी पार्टी नेताओं के निशाने पर थे। समीक्षा बैठक में यह भी कहा गया कि राजवल्लभ यादव जैसे मजबूत नेताओं को साजिश के तहत पार्टी से दूर किया गया। पार्टी के नेता यह भी चाहते हैं कि तेजस्वी यादव परिवार में एकजुटता बनाने का प्रयास करें क्योंकि उससे बिहार के आम लोगों में खराब मैसेज जा रहा है।
