विसंगति दूर करे संसद

Categorized as संपादकीय

यह अपेक्षा उचित है कि न्यायालय को कानून की भावना के अनुरूप भी उसकी व्याख्या करनी चाहिए, मगर ये बात पूरी तरह न्यायाधीश के विवेक पर निर्भर हो जाती है। इसलिए उचित होगा कि संसद संबंधित विसंगति को दूर करे।

उन्नाव बलात्कार कांड में सज़ायाफ्ता पूर्व भाजपा विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को दिल्ली हाई कोर्ट ने जमानत बच्चों को यौन अपराध से संरक्षण (पोक्सो) कानून की एक धारा की तकनीकी व्याख्या के आधार पर दी है। इस कानून की धारा 5(सी) के तहत ‘लोक सेवकों’ की जो सूची है, उसमें विधायक शामिल नहीं हैं। यही स्थिति आईपीसी की धारा 376(2) में भी है। मगर भ्रष्टाचार निवारण कानून के तहत विधायक एवं अन्य निर्वाचित प्रतिनिधियों को ‘लोक सेवक’ माना गया है। पोक्सो में प्रावधान है कि बच्चों का यौन शोषण ‘लोक सेवक’ या ‘विश्वस्त अथवा अधिकार संपन्न’ व्यक्ति ने किया हो, तो उन्हें सामान्य (सात वर्ष कैद) से अधिक सजा होगी। निचली अदालत ने ‘लोक सेवक’ की परिभाषा को विस्तृत करते हुए सेंगर को सजा सुनाई।

लेकिन हाई कोर्ट ने जो संबंधित कानून में लिखा है, उसके अनुरूप नजरिया अपनाया। चूंकि सेंगर की कैद सात साल से अधिक हो चुकी है, इसलिए उसे जमानत दे देने का निर्णय कोर्ट ने लिया। निचली अदालत ने सेंगर के ‘विश्वस्त अथवा अधिकार संपन्न’ व्यक्ति होने की दलील नामंजूर कर दी थी। अभियोग पक्ष ने उस प्रावधान को लागू करने की दलील हाई कोर्ट में दी, लेकिन निचली अदालत के निष्कर्ष का हवाला देते हुए उच्च न्यायालय ने उसे ठुकरा दिया। कानूनी प्रावधानों की इस तरह की व्याख्या का लाभ सेंगर को मिला है।

मगर यह सचमुच भारत की विधि व्यवस्था में निहित बड़ी और अफसोसनाक विसंगति है कि एक कानून में जिस पद को ‘लोक सेवक’ माना गया है, एक अन्य अधिनियम में उसे ऐसी सूची में शामिल नहीं किया गया है। हालांकि यह अपेक्षा अपनी जगह सही है कि न्यायालय को सिर्फ शब्द नहीं, बल्कि भावना के अनुरूप भी कानून की व्याख्या करनी चाहिए, मगर ये बात पूरी तरह संबंधित न्यायाधीश की अपनी दृष्टि एवं विवेक पर निर्भर हो जाती है। इसलिए उचित होगा कि सरकार इस विसंगति को दूर करने के तुरंत कदम उठाए। पोक्सो कानून में इस संशोधन के लिए उसे संसद के बजट सत्र में विधेयक लाना चाहिए। वैसे फ़ौरी जरूरत को पूरा करने के लिए वह अध्यादेश का सहारा भी सकती है।


Previous News Next News

More News

ममता का जय मां दुर्गा और जय महाकाल!

December 31, 2025

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा के जय श्रीराम नारे का जवाब जय मां काली से दिया था। वे पूरे चुनाव में काली पूजा का महत्व बताती रहीं और मां काली की आराधना के मंत्र पढ़ती रहीं। अब वे एक कदम और आगे बढ़ गई हैं। उन्होंने दीघा में…

विजय को रोकना मुश्किल होगा

December 31, 2025

तमिल फिल्मों के सुपर सितारे विजय का राजनीतिक रथ रोकना तमिलनाडु की दोनों प्रादेशिक पार्टियों के लिए मुश्किल होता दिख रहा है। खबर है कि अन्ना डीएमके से अलग हुए दो लोकप्रिय नेता उनकी पार्टी में शामिल हो सकते हैं। पूर्व मुख्यमंत्री ओ पनीसेल्वम के विजय की पार्टी टीवीके में जाने की चर्चा है तो…

तेल पर सरकार की गजब कमाई

December 31, 2025

साल 2025 जा रहा है और इसका लेखा जोखा करते हुए एक बहुत दिलचस्प आंकड़ा सामने आया है। पता चला है कि इस साल यानी 2025 में पूरी दुनिया में कच्चा तेल बहुत सस्ता हुआ। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत कम होने से भारत सरकार को बड़ी कमाई हुई। कमाई दो तरह से…

भाजपा को रोकने के लिए पवार परिवार एकजुट

December 31, 2025

भारतीय जनता पार्टी के नेता और सोशल मीडिया में उसके इकोसिस्टम के लोग इस बात पर मजे ले रहे हैं कि शऱद पवार और अजित पवार की पार्टी एक हो गई। वे खुश हो रहे हैं कि शरद पवार ने भी महाराष्ट्र में स्थानीय निकाय चुनाव के बहाने कांग्रेस के नेतृत्व वाले विपक्षी गठबंधन को…

भारत की संभावनाओं की कुंजी

December 31, 2025

भारत को ऐसी सोच चाहिए जो व्यक्ति को केवल डेटा बिंदु नहीं, एक स्वायत्त, समझदार, गरिमामय नागरिक माने। एक ऐसी लोकतांत्रिक सोच जो यह माने कि प्रगति केवल आंकड़ों से नहीं, आशाओं और अवसरों से भी मापी जाती है। क्यों शिक्षा और तकनीक को नेतृत्व करना चाहिए? प्रसिद्ध अर्थशास्त्री एजाज़ ग़नी (मेरे जेएनयू के मित्र…

logo