उन वादियों से: ‘बारामूला’

‘बारामूला’ केवल एक हॉरर फ़िल्म नहीं है, यह ऐतिहासिक भूल-चूक, सामूहिक ज़ख्म और पहचान की स्थिति पर टिप्पणी भी है। फ़िल्म बताती है कि कैसे राजनीतिक हिंसा केवल भौतिक नहीं रहती; वह स्मृति, पहचान और पीढ़ियों के रिश्तों में दर्ज हो जाती है। यहां भूत-प्रेत का रूप वास्तव में उन अनसुलझी चोटों का प्रतीक है… Continue reading उन वादियों से: ‘बारामूला’

दो सौ बहत्तर रखवालों को श्रद्धा-अंजलि

जब कभी ये 272 जन्म कुंडलियां खंगाली जाएंगी, उन में से बहुतों की असलियत सुन कर भारतमाता के होश उड़ जाएंगे।… साहित्यकार, लेखक, पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्ता जेलों में ठूंसे जाते रहे, तब ये 272 बुद्धिविलासी कहां थे? क़ानूनी प्रक्रियाओं की खुली अवहेलना कर सैकड़ों लोगों को जेल भेजा गया, तब इन में से कोई… Continue reading दो सौ बहत्तर रखवालों को श्रद्धा-अंजलि

चुनाव आयोग पर सभी का विश्वास क्यों नहीं?

बिहार चुनाव से चुनाव आयोग की निष्पक्षता, राजनीतिक दलों के आचरण और चुनाव जीतने की रणनीति सभी पर गंभीर चर्चा है। पर आयोग को चाहिए कि वह अपने हर निर्णय में पारदर्शिता, कठोरता और समान व्यवहार बनाए रखे, तभी वह जनता का भरोसा लौटाने में कामयाब होगा। विपक्ष को अपनी कमियों से सीख लेनी होगी,… Continue reading चुनाव आयोग पर सभी का विश्वास क्यों नहीं?

गैर-बराबरी के मुकाबले में भी राहुल बिना डर के डटे हैं!

राहुल को मोदी की बनाई पूरी व्यवस्था से लड़ना पड़ रहा है। पूर्व में कोई उदाहरण?  फिलहाल विरथ रघुवीरा ही याद दिलाते हैं। शायद लोगों की समझ में आए। और अंत भी कि रावण रथी की कहानी खत्म हुई थी।…. लेवल प्लेइंग फील्ड नहीं है। रास्ता थोड़ा लंबा हो सकता है। मगर राहुल गलत नहीं… Continue reading गैर-बराबरी के मुकाबले में भी राहुल बिना डर के डटे हैं!

कांग्रेस ‘वोट चोरी’ का मुद्दा नहीं छोड़ेगी

कांग्रेस पार्टी ने बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों की समीक्षा नहीं की है। राष्ट्रीय जनता दल ने समीक्षा बैठक बुलाई तो उसमें समीक्षा कुछ नहीं हुई, तेजस्वी यादव को विधायक दल का नेता चुना गया। उधर कांग्रेस ने चुनाव नतीजों की समीक्षा की बजाय मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण यानी एसआईआर की समीक्षा के… Continue reading कांग्रेस ‘वोट चोरी’ का मुद्दा नहीं छोड़ेगी

वैदिक शब्दों से ही हैं लौकिक नाम

भारत सहित वेद व संस्कृत से प्रभावित कई संस्कृतियों में वेद संहिताओं से ही नाम रखने की परंपरा अत्यंत प्राचीन है। वेदों के अध्ययन- अध्यापन की वृहत परंपरा होने के कारण वैदिक शब्द, पद व अभिधान से परिचित जन उन शब्दों का अनुकरण कर नाम,पद अभिधान रखते थे, जो बहुत ही अर्थपूर्ण और उपयुक्त होता… Continue reading वैदिक शब्दों से ही हैं लौकिक नाम

क्यों नहीं रुकते आतंकी हमले?

आतंकवाद से निपटने के लिए बल प्रयोग ही अकेला उपाय न हो। क्या उपाय हो सकते हैं उनके लिए हमें शोधपरख अध्ययनों की जरूरत पड़ेगी। पिछले 40 साल के अपने सोच विचारदृष्टि अपनी कार्यपद्धति पर नजर डालें तो हमें हमेशा तदर्थ उपायों से ही काम चलाना पड़ा है। इसका उदाहरण कंधार विमान अपहरण के समय… Continue reading क्यों नहीं रुकते आतंकी हमले?

ममदानी की जीतः गहरा और दूरगामी है संदेश

ममदानी की जीत ने दिखाया है कि वामपंथी झुकाव लिए हुए लोकलुभावन वादों से वैसा जनमत जुटाया जा सकता है, जिसे नियंत्रित करना किसी एस्टैबलिशमेंट के वश में नहीं है। अब यह परिघटना अन्य अमेरिकी राज्यों में भी आगे बढ़ सकती है। उसका नतीजा आर्थिक मुद्दों पर नए ध्रुवीकरण के रूप में सामने आ सकता… Continue reading ममदानी की जीतः गहरा और दूरगामी है संदेश

आतंक पर निर्णायक जीत से दूर क्यों?

जिहाद की बौद्धिक जड़ों पर सभ्य समाज प्रायः चुप रहता है, जबकि जिहाद से निर्णायक संघर्ष तभी संभव है, जब उसके मूल विचारों पर सीधी बहस की जाए। क्या मौजूदा दौर में ऐसा संभव है?… कश्मीरी डॉक्टर उमर नबी, अनंतनाग अस्पताल में डॉक्टर आदिल अहमद राठर, फरीदाबाद के अल-फलाह अस्पताल में कार्यरत डॉक्टर मुजम्मिल अहमद… Continue reading आतंक पर निर्णायक जीत से दूर क्यों?

बिहार में चला मोदी-नीतीश का जादू

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पार्टी मुख्यालय में आयोजित समारोह से पहले सोशल मीडिया में एक वाक्य में बिहार के परिणामों की व्याख्या करते हुए लिख दिया था कि बिहार के लोगों ने सुशासन को चुना है। इस वाक्य में समूचा बिहार चुनाव छिपा है। बिहार में आरंभ से ही इस बात का मुकाबला था कि… Continue reading बिहार में चला मोदी-नीतीश का जादू

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