पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा के जय श्रीराम नारे का जवाब जय मां काली से दिया था। वे पूरे चुनाव में काली पूजा का महत्व बताती रहीं और मां काली की आराधना के मंत्र पढ़ती रहीं। अब वे एक कदम और आगे बढ़ गई हैं। उन्होंने दीघा में जगन्नाथ धाम मंदिर का निर्माण कराया। ध्यान रहे पश्चिम बंगाल में चैतन्य महाप्रभु का बड़ा असर रहा है और उस असर में कृष्ण की पूजा होती है। तभी पुरी के जगन्नाथ धाम की तर्ज पर दीघा में मंदिर बना तो देश भर के लोग वहां पहुंचने लगे। पिछले सात महीने में एक करोड़ के करीब लोग उस मंदिर में पहुंचे हैं। इसके शिलान्यास से लेकर उद्घाटन तक का काम ममता बनर्जी ने किया।
अब वे इससे भी आगे बढ़ रही हैं। उन्होंने कोलकाता के न्यू टाउन में सोमवार, 29 दिसंबर को दुर्गा आंगन की आधारशिला रखी। उनका दावा है कि यह सबसे बड़ा दुर्गा मंदिर होगा। वे वहां और भी कई चीजें बनवा रही हैं। उसी कार्यक्रम में उन्होंने ऐलान किया कि वे पांच जनवरी को सिलिगुड़ी में महाकाल मंदिर की नींव रखेंगी। उनका दावा है कि वह सबसे बड़ा महाकाल मंदिर होगा, जिसे उज्जैन की तर्ज पर बनाया जाएगा। असल में ममता बनर्जी को भाजपा के मंदिर मुद्दे का जवाब देना तो साथ ही हुमायूं कबीर के मुर्शिदाबाद के बेलडांगा में बाबरी मस्जिद बनाने से बन रहे नैरेटिव का भी जवाब देना था। गौरतलब है कि उनके ऊपर मुस्लिम तुष्टिकरण के आरोप लगते रहे हैं। उन्होंने इसका जवाब दिया है। उन्होंने कहा है कि ईद के कार्यक्रम में जाती हैं तो मुद्दा बन जाता है लेकिन गुरुद्वारे में जाती हैं तो सब चुप रहते हैं। बहरहाल, ममता कृष्ण भक्तों का ध्यान रख रही हैं लेकिन उनका फोकस शिव और शक्ति की पूजा पर है, जिसकी संस्कृति बंगाल में बहुत गहरे पैठी है।
