यह बात भारतीय जनता पार्टी के कई नेता खुद मानते हैं कि पश्चिम बंगाल की लड़ाई भाजपा वहां जमीन पर नहीं, बल्कि बाहर हारती है। इस बार भी विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा के नेता मान रहे हैं कि जमीन पर बदलाव के हालात हैं। लोग ममता बनर्जी की सरकार से उबे हुए हैं। हिंदू परेशान हैं और किसी तरह से बदलाव चाहते हैं। लेकिन समस्या यह है कि भाजपा के नेता इस तरह के काम करते हैं या इस तरह की बयानबाजी करते हैं, जिससे ममता बनर्जी को बंगाल की अस्मिता का मुद्दा बनाने का मौका मिल जाता है और फिर भाजपा हार जाती है। भाजपा के एक जानकार नेता ने कहा कि बंगाल में शामिक भट्टाचार्य का चेहरा अच्छा है, वे मेहनती हैं और जमीन से जुड़े कार्यकर्ता रहे हैं। उनके साथ बहुत मजबूत नहीं फिर भी एक नेतृत्व तैयार हो गया है। लेकिन बंगाल के बाहर हो रहे घटनाक्रम पर उनका कोई जोर नहीं है। घटनांएं बाहर हो रही हैं और सफाई उनको बंगाल में देनी पड़ रही है।
बाहर के लोगों को यह छोटी बात मालूम पड़ेगी लेकिन प्रधावनमती नरेंद्र मोदी का संसद में बंकिम बाबू को बंकिम दा कहना बंगाल के लोगों के लिए बड़ा मुद्दा है। उनको लग रहा है कि प्रधानमंत्री जब बंगाल की संस्कृति और परंपरा के बारे में जानते ही नहीं हैं तो वे बंगाल का भला कैसे करेंगे? हालांकि प्रधानमंत्री ने तुरंत अपने को ठीक किया था लेकिन उसका मैसेज चला गया था। इसी तरह भाजपा के एक और बड़े नेता, जो उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री रहे हैं, दिनेश शर्मा ने संसद में महान स्वतंत्रता सेनानी मातंगिनी हाजरा को मुस्लिम बता दिया। उनको जब पता नहीं था तो बोलना नहीं चाहिए लेकिन उनके कहने के बाद बंगाल में यह मुद्दा बन गया। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने खुद इसे मुद्दा बनाया और एक पुराना रेफरेंस निकाल कर यह भी कहा कि भाजपा के लोग खुदीराम बोस को आतंकवादी बताते हैं। भाजपा के लोगों को समझना चाहिए कि बंगाल के लोग अपनी संस्कृति, परंपरा और अपने महापुरुषों को लेकर बहुत संवेदनशील हैं। उनके लिए बंकिम चंद्र चटोपाध्याय, मातंगिनी हाजरा, खुदीराम बोस का बड़ा महत्व है।
इसी तरह दो घटनाएं दिल्ली और वाराणसी की हैं, जिनको तृणमूल कांग्रेस के नेता भुनाने में लगे हैं। दिल्ली में घुसपैठियों की पहचान का जो अभियान चला था उसमें पुलिस की ओर से पश्चिम बंगाल भवन को आधिकारिक पत्र भेजा गया था, जिसमें बांग्ला बोलने वालों को बांग्लादेशी बताया गया था और उनकी भाषा समझने के लिए किसी को उपलब्ध कराने की अपील की गई थी। दूसरी घटना वाराणसी की है, जहां घुसपैठियों की पहचान करने के क्रम में पुलिस वालो ने मीडिया से कहा कि कई संदिग्ध लोग पकड़े गए हैं और सब पश्चिमव बंगाल के रहने वाले हैं। अब सवाल है कि पश्चिम बंगाल का रहने वाला व्यक्ति संदिग्ध कैसे हो गया या घुसपैठिया कैसे हो गया? बंगाल भाजपा के नेताओं को इन तमाम बातों पर सफाई देनी पड़ती है। वैसे कांग्रेस का दिल्ली का इकोसिस्टम भी पीछे नहीं है। उन्होंने वंदे मातरम पर संसद में चर्चा के बाद बंकिम बाबू की ही साख बिगाड़नी शुरू कर दी। कांग्रेस के करीबी माने जाने वाले एक बड़े सोशल मीडिया इन्फ्लूएंसर ने अपने सब्सक्राइबर बढ़ाने के चक्कर में लिख दिया कि बंकिम चंद्र चटोपाध्याय अंग्रेजी राज में डिप्टी कलेक्टर थे। यानी उनकी देशभक्ति संदिग्ध थी।
