पहले भी अडानी और अंबानी का विरोध सिर्फ राहुल गांधी करते थे। कांग्रेस के दूसरे नेता आमतौर पर चुप ही रहते थे। राजस्थान में अशोक गहलोत की सरकार थी तो अडानी समूह के साथ निवेश के बड़े समझौते हुए थे। तेलंगाना की कांग्रेस सरकार ने भी निवेश का समझौता किया है। इसी तरह केरल में जब अडानी को पोर्ट का उद्घाटन तक था सीपीएम सरकार के मुख्यमंत्री और मंत्रियों के साथ कांग्रेस के नेता भी उसमें शामिल हुए। लेकिन अब ऐसा लग रहा है कि अडानी और अंबानी के ऊपर राहुल गांधी भी थोड़े नरम पड़ रहे हैं। दूसरी ओर कांग्रेस के अन्य नेताओं का पहले जैसा रुख कायम है।
वे अडानी और अंबानी के साथ संबंध मजबूत कर रहे हैं तो वैसे काम भी कर रहे हैं, जिनका कांग्रेस पहले विरोध करती थी। ताजा मिसाल तेलंगाना सरकार की है। तेलंगाना सरकार ने राज्य में चिड़ियाघर और वन्य जीवों के अभ्यारण्य के विकास के लिए अंबानी समूह के वनतारा के साथ करार किया है। सोचें, दिल्ली में जब चिड़ियाघर के लिए वनतारा के साथ इसी तरह का करार किया गया था तो कांग्रेस ने आसमान सिर पर उठा लिया था। सरकारी चिड़ियाघर अंबानी को सौंप देने के आरोप लगाए थे। लेकिन अब उसकी तेलंगाना की सरकार ने चुपचाप वही समझौता कर लिया, जो दिल्ली में हुआ था। पार्टी के किसी नेता ने इस पर सवाल नहीं उठाया है।
पिछले दिनों एनसीपी के संस्थापक शरद पवार के 88वें जन्मदिन से पहले की एक पार्टी दिल्ली में हुई। पहले इस बात का ऐलान हो गया था कि गौतम अडानी उसमें शामिल होंगे। उनकी तस्वीरें भी आईं। राहुल गांधी भी पवार के जन्मदिन की इस पार्टी में शामिल होने पहुंचे थे। पहले कहा गया कि जब गौतम अडानी वहां से निकल गए तब राहुल गांधी वहां पहुंचे। लेकिन अब इस पर संदेह है। कांग्रेस और परिवार की राजनीति पर नजर रखने वाले एक करीबी व्यक्ति का कहना है कि जिस समय राहुल पहुंचे उस समय अडानी वहां मौजूद थे। इतना ही नहीं दोनों का आमना सामना भी हुआ और दोनों ने हाथ भी मिलाए। इस बात की न पुष्टि की जा रही है और न इसे खारिज किया जा रहा है। लेकिन जानकार व्यक्ति का कहना है कि जब दोनों आमने सामने हुए और हाथ मिलाया तो यह सुनिश्चित किया गया कि उनकी कोई तस्वीर न आए। पवार की बेटी सुप्रिया सुले तुरंत एक्टिव हुईं और उन्होंने फोटो नहीं लेने दिया या फोटो डिलीट कराए। सबको पता है कि वह तस्वीर सामने आ जाती तो क्या होता!
बहरहाल, अब खबर है कि मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में अडानी समूह की एक कंपनी के निदेशक की बेटी की शादी थी, जिसमें पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह शामिल हुए। यह स्पष्ट नहीं है कि उस समय गौतम अडानी वहां थे या नहीं। उधर महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री सुशील कुमार शिंदे ने खुद ही अपनी पोती की शादी की फोटो शेयर की, जिसमें गौतम अडानी भी थे। तभी ऐसा लग रहा है कि कांग्रेस नेताओं ने हथियार डाल दिए हैं और समझ लिया है कि अडानी विरोध चुनाव जीतने का हथियार नहीं हो सकता है। इससे कांग्रेस के कॉरपोरेट विरोधी होने की छवि भी बन रही है। तभी राहुल गांधी बार बार यह सफाई भी दे रहे हैं कि वे कॉरपोरेट विरोधी नहीं हैं, बल्कि उनका विरोध क्रोनी कैपिटलिज्म से है।
