मशहूर क्रिकेटर और आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद हरभजन सिंह संसद के शीतकालीन सत्र से नदारद हैं। उन्होंने सत्र शुरू होने से पहले सभापति से अनुरोध किया था कि उनको सदन से गैरहाजिर रहने की अनुमति दी जाए क्योंकि उनके पहले से तय कई कार्यक्रम हैं, जिनमें उनको हिस्सा लेना है। सोचें, एक राज्यसभा सांसद के लिए संसद की अपनी ड्यूटी से ज्यादा जरूरी कौन से काम हैं? दूसरा सवाल यह है कि जब संसद के शीतकालीन सत्र का समय मोटे तौर पर तय होता है तो उस अवधि में हरभजन ने दूसरे किसी काम का कमिटेमेंट क्यों किया? तीसरा सवाल यह है कि ऐसा क्या कमिटमेंट है कि तीन हफ्ते के सत्र में संसद आने के लिए एक या दो दिन का समय नहीं निकाल सकते हैं?
लेकिन क्या आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल ये सवाल हरभजन सिंह से पूछ सकते हैं? वे नहीं पूछ सकते हैं क्योंकि हरभजन का उनकी पार्टी या विचारधारा से कोई लेना देना नहीं है और हरभजन को पता है कि अगली बार उनको राज्यसभा नहीं जाना है। केजरीवाल की मजबूरी ऐसी है कि वे हरभजन से इस्तीफा भी नहीं करा सकते हैं क्योंकि पता नहीं किस कमिटमेंट के तहत उनको राज्यसभा भेजा गया। सोचें, इसी तरह कांग्रेस पार्टी ने क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर और अभिनेत्री रेखा को राज्यसभा भेजा था। दौनों ने शायद ही कभी सदन की कार्यवाही में हिस्सा लिया। फिर भी केजरीवाल ने इससे सबक नहीं लिया। उन्होंने हरभजन को राज्यसभा भेजा और वे लगातार गैरहाजिर रहते हैं। सदस्यता बचाने के लिए जितने दिन में एक बार दस्तखत की जरुरत होती है वे उतनी देर के लिए ही संसद में आते हैं।
