उत्तर प्रदेश भाजपा अध्यक्ष के चुनाव के बाद अब दो चर्चाएं तेज हो गई हैं। पहली चर्चा तो भाजपा के राष्ट्री.य अध्यक्ष की है और दूसरी केंद्रीय मंत्रिमंडल में फेरबदल की है। हालांकि अभी तुरंत इनमें से कोई भी काम नहीं होने जा रहा है। एक दिन बाद से खरमास शुरू हो रहा है, जिसमें कोई भी शुभ कार्य नहीं होता है। इसलिए अब 14 जनवरी तक सब कुछ स्थगित हो गया। जो होगा वह 14 जनवरी के बाद होगा। लेकिन चूंकि केंद्रीय मंत्री पंकज चौधरी को उत्तर प्रदेश का अध्यक्ष बना कर भेजा गया है इसलिए इस बात की संभावना प्रबल हो गई है कि सरकार में फेरबदल होगी। कहा जा रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी तीसरी सरकार की पहली फेरबदल बड़ी करेंगे। अनेक मंत्रियों की विदाई हो सकती है और राज्यों के समीकरण को ध्यान में रखते हुए नए चेहरे लाए जा सकते हैं। यह भी कहा जा रहा है कि सरकार में युवा चेहरों को जगह मिलेगी।
जहां तक राष्ट्रीय अध्यक्ष की बात है तो उत्तर प्रदेश के बाद यह सस्पेंस बढ़ गया है कि भाजपा का राष्ट्रीय अध्यक्ष सवर्ण होगा या पिछड़ी जाति से होगा। पिछले कुछ दिनों से खास कर बिहार विधानसभा चुनाव के बाद से धर्मेंद्र प्रधान के नाम की चर्चा जोरशोर से हो रही है। वे पिछड़ी जाति से आते हैं। उनके अलावा भूपेंद्र यादव के नाम की भी चर्चा थी। पिछले कुछ दिनों से भाजपा लगातार पिछड़ी जाति के नेताओं को आगे कर रही है। उत्तर प्रदेश में पिछड़ी जाति के पंकज चौधरी अध्यक्ष हुए हैं तो इससे ठीक पहले गुजरात में जगदीश विश्वकर्मा को अध्यक्ष बनाया गया। वे भी पिछड़ी जाति से हैं। इसी तरह पिछले दिनों झारखंड में पिछड़ी जाति के आदित्य साहू अध्यक्ष बने। बिहार में पहले से पिछड़ी जाति के दिलीप जायसवाल अध्यक्ष हैं। प्रधानमंत्री खुद पिछड़ी जाति के हैं। तभी क्या भाजपा का अध्यक्ष भी पिछड़ी जाति का होगा? .या भाजपा पिछले दो दशक से चल रही परंपरा को मानते हुए अगड़ा अध्यक्ष बनाएगी? कहा जा रहा है कि राहुल गांधी के पिछड़ा कार्ड को फेल करने के लिए भाजपा इतनी संख्या में पिछड़े नेताओं को आगे ला रही है।
