ऐसा लग रहा था कि कर्नाटक का मामला थम गया है। मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और उप मुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने बारी बारी से एक दूसरे को अपने यहां नाश्ते पर बुलाया और एकजुटता का संदेश दिया। लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि सत्ता के लिए संघर्ष समाप्त हो गया है। पिछले दिनों दिल्ली में कांग्रेस संसदीय दल की नेता सोनिया गांधी के आवास पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं की बैठक हुई। राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे भी इसमें शामिल हुए। इस बैठक में कर्नाटक में सत्ता बदलने की संभावना पर विचार किया गया। इस बैठक के दो दिन बाद उप मुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने हासन जिले में एक कार्यक्रम में कांग्रेस कार्यकर्ताओं से कहा कि वे राज्य में बदलाव के लिए तैयार रहें।
जिस समय शिवकुमार ने यह बात कही उस समय मंच पर सिद्धारमैया भी मौजूद थे। लेकिन उन्होंने इसका जवाब नहीं दिया। तभी एक बार फिर सत्ता में बदलाव का अध्याय खुल गया है। कहा जा रहा है कि सिद्धारमैया को सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री रहने का रिकॉर्ड बनाने की छूट दी गई है, उसके बाद बदलाव होगा। गौरतलब है कि देवराज अर्स दो बार में सात साल 239 दिन तक मुख्यमंत्री रहे हैं। सिद्धारमैया अपने इस कार्यकाल को मिला कर सात साल 205 दिन रह चुके हैं। इसका मतलब है कि 34 दिन में वे देवराज अर्स का रिकॉर्ड तोड देंगे। क्या उसके बाद उनकी विदाई हो जाएगी और शिवकुमार मुख्यमंत्री बनेंगे? कहा नहीं जा सकता है। लेकिन नए साल में मकर संक्रांति के बाद क्या होता है यह देखना दिलचस्प होगा।
