यह लाख टके का सवाल है कि उद्धव ठाकरे की शिव सेना की नेता प्रियंका चतुर्वेदी का क्या होगा? उनका कार्यकाल अगले साल तीन अप्रैल को खत्म हो रहा है। यानी बजट उनका आखिरी सत्र होगा। क्या वे फिर किसी जुगाड़ से राज्यसभा पहुंच पाएंगी? ध्यान रहे वे पहले कांग्रेस पार्टी में थीं और कांग्रेस में प्रवक्ता के नाते उन्होंने अच्छी लोकप्रियता हासिल की थी। लेकिन 2018 में अचानक उन्होंने पाला बदल लिया और शिव सेना में चली गईं। उस समय शिव सेना एकजुट थी। उसने प्रियंका चतुर्वेदी को राज्यसभा भेज दिया। जब शिव सेना टूटी तब वे उद्धव ठाकरे के साथ ही रहीं।
अब उनका कार्यकाल खत्म हो रहा है और उद्धव ठाकरे शिव सेना अपने दम पर एक भी सीट जीतने में सक्षम नहीं है। गौरतलब है कि उद्धव ठाकरे की पार्टी सिर्फ 20 विधानसभा सीट जीत पाई है। समूचे महाविकास अघाड़ी को 48 सीटें हैं। महाराष्ट्र में राज्यसभा की सात सीटें खाली हो रही हैं। एक सीट जीतने के लिए 37 वोट की जरुरत है। अगर महाविकास अघाड़ी एकजुट रहा तो उसे एक सीट मिल सकती है। चूंकि सबसे ज्यादा सीट शिव सेना की है तो वह इस एक सीट पर दावा कर सकती है। लेकिन मुश्किल यह है कि एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार भी रिटायर हो रहे हैं। वे महाराष्ट्र के सबसे बड़े नेता हैं और महाविकास अघाड़ी को भी जोड़े रखने वाली ताकत हैं। अगर उन्होंने उच्च सदन में बने रहने की इच्छा जताई तो प्रियंका चतुर्वेदी के लिए मुश्किल हो जाएगी। शरद पवार के लिए कांग्रेस किसी दूसरे राज्य में सीट का इंतजाम करे यह भी मुश्किल है। हां, अगर दोनों एनसीपी एक हो जाएं, शरद और अजित पवार साथ आ जाएं तो फिर उनको कोई दिक्कत नहीं होगी।
