राज्यसभा की तस्वीर नहीं बदलेगी

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अगले साल राज्यसभा के दोवार्षिक चुनाव होने वाले हैं। अप्रैल, जून, जुलाई और नवंबर में कुल 71 सांसद रिटायर हो रहे हैं। उससे पहले पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव हैं। इन पांच में से तीन राज्यों पश्चिम बंगाल, असम और तमिलनाडु की 14 राज्यसभा सीटों पर चुनाव होना है। पश्चिम बंगाल की पांच, तमिलनाडु की छह और असम की तीन सीटें अगले साल खाली होने वाली हैं। ये सभी सीटें अप्रैल में खाली हो रही हैं, जबकि विधानसभा चुनाव की प्रक्रिया मई में पूरी होगी। इसलिए विधानसभा चुनाव के नतीजे चाहे जो हों राज्यसभा के नतीजे पर ज्यादा असर नहीं होने वाला है। पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु में एक एक सीट का फर्क आ सकता है। बंगाल में भारतीय जनता पार्टी को एक सीट मिल सकती है और तमिलनाडु में अन्ना डीएमके एक सीट जीत सकती है। असम में तीसरी सीट पर जबरदस्त लड़ाई की संभावना है क्योंकि पिछली बार निर्दलीय उम्मीदवार अजित कुमार भुइयां को समर्थन देकर भाजपा ने चुनाव जिता दिया था। इस बार कांग्रेस और उसकी सहयोगी पार्टियां इस सीट पर जोर लगाएंगी।

तमिलनाडु में छह सीटें खाली हो रही हैं, जिनमें से पांच सीटें सत्तारूढ़ डीएमके की हैं, जबकि एक सीट तमिल मनीला कांग्रेस के जीके वासन की है। यह सीट इस बार अन्ना डीएमके के खाते में जा सकती है। 234 के सदन में इस बार एक राज्यसभा सीट जीतने के लिए 33 वोट की जरुरत है। अन्ना डीएमके और भाजपा के पास 64 सीटें हैं। इस नाते वे एक सीट जीत सकते हैं। बाकी पांच सीटें डीएमके को मिलेंगी। हो सकता है कि कांग्रेस एक सीट के लिए दबाव बनाए। उधर पश्चिम बंगाल में खाली हो रही पांच में से एक सीट भाजपा को मिल सकती है। अभी पांच में से चार सीटें ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस के पास हैं, जबकि एक सीट सीपीएम के बिकास रंजन भट्टाचार्य की है। 294 के सदन में एक सीट जीतने के लिए 43 वोट की जरुरत है। 65 विधायकों के साथ भाजपा एक सीट जीत सकती है। सो, जिन राज्यों में अगले साल विधानसभा के चुनाव हैं वहां से कोई तस्वीर नहीं बदलेगी।

गौरतलब है कि अगले साल राज्यसभा की कुल 71 सीटें खाली हो रही हैं। इनमें से 37 सीटें अप्रैल में खाली होंगी, जबकि 22 सीटें जून में, एक सीट जुलाई में और 11 सीटें नवंबर में खाली होंगी, जिनमें से यूपी की 10 और उत्तराखंड की एक सीट है। अप्रैल में जो सीटें खाली हो रही हैं उनमें सबसे ज्यादा सात सीट महाराष्ट्र की है। वहां महाविकास अघाड़ी यानी कांग्रेस, उद्धव ठाकरे की शिव सेना और शरद पवार की एनसीपी को बड़ा झटका लगेगा। उनके पास चार सीटें हैं और इस बार सिर्फ एक सीट मिल पाएगी। कांग्रेस को एक सीट का नुकसान होगा लेकिन उसकी भरपाई हरियाणा से हो जाएगी। हरियाणा में दो सीटें खाली हो रही हैं। दोनों भाजपा की हैं। इनमें से एक सीट कांग्रेस को मिल सकती है। कांग्रेस को छत्तीसगढ़ में खाली हो रही दो में से एक सीट मिल सकती है। दोनों सीटें अभी भाजपा के पास हैं। गुजरात में कांग्रेस को अपनी इकलौती सीट गंवानी पड़ेगी। तेलंगाना की दोनों खाली हो रही सीटें कांग्रेस की हैं। भाजपा को ओडिशा में एक सीट का फायदा हो सकता है। वहां बीजू जनता दल को और आंध्र प्रदेश में वाईएसआर कांग्रेस को नुकसान होगा। बाकी राज्यों में यथास्थिति रहेगी। अगर राज्यवार देखें तो महाराष्ट्र में सात, तमिलनाडु में छह, पश्चिम बंगाल में पांच, बिहार में पांच, ओडिशा में चार, गुजरात, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक में चार-चार, मध्य प्रदेश, राजस्थान और असम में तीन-तीन, हरियाणा, छत्तीसगढ़, तेलंगाना में दो-दो, और मेघालय, मणिपुर, अरुणाचल प्रदेश और झारखंड में एक-एक सीटी खाली हो रही है।


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