हरियाणा में चुनाव अभी बहुत दूर हैं। वहां 2029 के लोकसभा चुनाव के बाद विधानसभा चुनाव होगा। लेकिन अभी से नए राजनीतिक समीकरण बनने बिगड़ने शुरू हो गए हैं। ओमप्रकाश चौटाला का परिवार सक्रिय हो गया है। उनके नजदीकी लोगों का कहना है कि कांग्रेस के भूपेंद्र सिंह हुड्डा के बाद जाट कांग्रेस को छोड़ेंगे। ध्यान रहे हुड्डा की उम्र 78 साल है। यह भी कहा जा रहा है कि पिछले तीन चुनावों से भाजपा को हराने में नाकाम रहने से भी जाट अब नए विकल्प की ओर देख रहे हैं। ध्यान रहे ओमप्रकाश चौटाला को जाटों ने इसलिए छोड़ा क्योंक हुड्डा ने सत्ता दिलाई। अगर हुड्डा सत्ता नहीं दिला सकते हैं तो जाट दूसरी पार्टी की ओर देखेंगे। 2019 के चुनाव में एक बड़े हिस्से ने दुष्यंत चौटाला की नई पार्टी का साथ दिया था।
तभी अब कहा जा रहा है कि ओमप्रकाश चौटाला परिवार को लग रहा है कि अगले चुनाव में उनके लिए मौका बन सकता है। तभी अभय चौटाला ने हरियाणा में यात्राएं और राजनीतिक कार्यक्रम शुरू कर दिए हैं। विधानसभा चुनाव के नतीजों से भी अभय चौटाला का हौसला बढ़ा है। विधानसभा में उनको चार फीसदी से ज्यादा वोट मिले और एक सीट भी मिली। दूसरी ओर दुष्यंत चौटाला की पार्टी को एक फीसदी भी वोट नहीं मिल सका, जबकि उससे पहले 2019 के चुनाव में उसे 14 फीसदी से ज्यादा वोट मिले थे। उसे एक भी सीट नहीं मिली। तभी अभय चौटाला सक्रिय हैं। बताया जा रहा है कि पिछले दिनों उनके सामने चौटाला परिवार की एकजुटता का प्रस्ताव आया था, जिसे उन्होंने खारिज कर दिया। उनका कहना था कि उनके भाई अजय चौटाला सहित पूरे परिवार ने और चाचा रंजीत चौटाला ने किसान आंदोलन का विरोध किया था और कृषि बिलों का समर्थन किया था। इसलिए उनसे एकता नहीं बनेगी। अभय चौटाला के नेतृत्व में इनेलो की ताकत बढ़ी तो कांग्रेस को समस्या होगी।
