संसद का शीतकालीन सत्र एक दिसंबर से शुरू हो रहा, जो 19 दिसंबर तक चलेगा। रविवार को सत्र के सुचारू संचालन को लेकर सर्वदलीय बैठक होगी। लेकिन उससे पहले नेताओं की ओर से जो बयान आ रहे हैं उनसे लग रहा है कि इस बार भी सत्र जाया होगा। इसका मुख्य कारण मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण यानी एसआईआर है। इसी मुद्दे पर संसद का मानसून सत्र बेकार गया था। उस समय बिहार में एसआईआर की प्रक्रिया शुरू हो गई थी। उस मसले पर संसद में सभी विपक्षी पार्टियों ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया था। इस समय 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में एसआईआर का काम चल रहा है। विपक्ष इस तैयारी में है कि शीतकालीन सत्र में एसआईआर के मसले पर चर्चा की मांग की जाएगी। ऐसा लग रहा है कि सरकार इसके लिए तैयार नहीं होगी। ध्यान रहे पिछली बार सरकार की ओर से तर्क दिया गया था कि चुनाव आयोग स्वायत्त संवैधानिक संस्था है, जिस पर सरकार संसद में चर्चा नहीं करा सकती है। इस तर्क के बाद ही विपक्ष की ओर से संकेत दिया गया था कि वह अगले यानी शीतकालीन सत्र में मुख्य चुनाव आयुक्त के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव ला सकता है। चुनाव आयोग और एसआईआर पर चर्चा कराने का यह एक तरीका हो सकता है। देखना होगा कि विपक्ष इसे लेकर कितना गंभीर है।
इस बार भी सत्र से पहले पाला खींच गया है। विपक्ष की ओर से कहा जा रहा है कि एसआईआर पर चर्चा करानी होगी। दूसरी ओर संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने एक इंटरव्यू में कहा कि सरकार एसआईआर पर चर्चा करा सकती है लेकिन उस चर्चा का दायरा बढ़ाना होगा। उन्होंने संकेत दिया कि अगर विपक्ष व्यापक चुनाव सुधारों पर चर्चा के लिए तैयार होता है कि सरकार आगे बढ़ कर इसकी मंजूरी देगी। रविवार को सर्वदलीय बैठक में इस पर विचार होगा और सोमवार को सत्र के पहले दिन कार्य मंत्रणा समिति और विपक्षी पार्टियों की बैठक में देखना होगा कि क्या राय बनती है। ममता बनर्जी और एमके स्टालिन दोनों की संसद में बड़ी ताकत है और दोनों के राज्यों में एसआईआर की प्रक्रिया चल रही है। इसलिए दोनों इस मुद्दे को जोर शोर से संसद में उठाएंगे।
ध्यान रहे बिहार पहला राज्य था, जहां एसआईआर हुआ है। उस समय संसद सत्र के दौरान बिहार की एसआईआर को लेकर दूसरी समस्याएं आ रही थीं, जबकि अब दूसरे चऱण में जिन राज्यों में एसआईआर का अभियान चल रहा है वहां से दूसरा समस्या आ रही है। तृणमूल कांग्रेस के सांसदों की एक टीम चुनाव आयोग से मिली तो उन्होंने आयोग से कहा कि एसआईआर के कारण 40 लोगों की मौत हुई है और यह हत्या है, जिसकी जिम्मेदारी चुनाव आयोग पर आती है। भाजपा शासित राज्यों जैसे गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश में भी एसआईआर के काम में लगे लोगों की मौत हो रही है। सो, निश्चित रूप से यह एक बड़ा मुद्दा है, जिसे विपक्षी पार्टियां पूरी ताकत से उठाएंगी। राहुल गांधी ने दिल्ली में प्रदूषण का मुद्दा भी उठाया है और कहा है कि वे संसद में इस पर बहस की मांग करेंगे। उनको इसमें समस्या नहीं है क्योंकि दिल्ली से लेकर एनसीआर के किसी भी राज्य में कांग्रेस की सरकार नहीं है। इसमें भाजपा और आम आदमी पार्टी की सरकारों पर सवाल उठेंगे।
