ऐसा लग रहा है कि ओमप्रकाश राजभर को दिखने लगा कि बिहार का समीकरण उत्तर प्रदेश में भी काम कर सकता है। इसलिए नतीजे आते ही उन्होंने एनडीए के विरोध की राजनीति को तह लगा कर बक्से में बंद कर दिया। असल में बिहार में जो सामाजिक समीकरण बना है वह उत्तर प्रदेश के चुनाव को ध्यान में रख कर बनाया गया है। तभी यह भी कहा जा रहा है कि ये सामाजिक और राजनीतिक समीकरण उत्तर प्रदेश के चुनाव तक चलता रहेगा। इसी में इस सवाल का जवाब भी छिपा है कि नीतीश कुमार कब तक बिहार के मुख्यमंत्री बने रहेंगे और भाजपा कब अपना सीएम बनाएगी।
जानकार सूत्रों का कहना है कि 2027 के मार्च में होने वाले उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव तक नीतीश कुमार की कुर्सी को कोई खतरा नहीं है। उस समय तक नीतीश कुमार मुख्यमंत्री और सम्राट चौधरी व विजय सिन्हा के उप मुख्यमंत्री का फॉर्मूला चलता रहेगा। असल में भाजपा को गैर यादव पिछड़ी जातियों को एक साथ लाने में इस फॉर्मूले से मदद मिल सकती है। वैसे केशव प्रसाद मौर्य उत्तर प्रदेश में इस फॉर्मूले के प्रतिनिधि हैं। लेकिन नीतीश कुमार का चेहरा बहुत बड़ा है और सम्राट चौधरी का चेहरा भी बड़ा हो गया है। इसके साथ सवर्ण वोट में भूमिहार को साधने का प्रयास भी किया गया है।
