यह सोच अपने-आप में सही जगह पर है कि मकान किराए पर लगाने का कारोबार औपचारिक दायरे में आए और जहां अपने मकान की सुरक्षा को लेकर मालिक आश्वस्त हों, वहीं किराएदार के अधिकारों का भी संरक्षण हो।
भारत सरकार का कहना है कि मकान किराया संबंधी नए नियमों में उसने मकान मालिक और किरायेदार दोनों के हितों के बीच संतुलन बनाने की कोशिश की है। इसके तहत पूरी प्रक्रिया को पारदर्शी बनाया गया है। चूंकि अब मकान किराए पर देने से संबंधित दस्तावेज का 60 दिन के अंदर ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कराना होगा, इसलिए समझा जा सकता है कि नए नियमों का मकसद टैक्स वसूली को सुनिश्चित करना भी है। बहरहाल, यह सोच अपने-आप में सही जगह पर है कि मकान किराए पर लगाने का कारोबार औपचारिक दायरे में आए और जहां अपने मकान की सुरक्षा को लेकर मालिक आश्वस्त हों, वहीं किराएदार के अधिकारों का भी संरक्षण हो।
तो प्रावधान किया गया है कि मकान मालिक मनमाने तरीके से किराया नहीं बढ़ा पाएंगे, सुरक्षा जमा (डिपॉज़िट) की सीमा तय कर दी गई है और किराया वृद्धि को भी नियमित किया गया है। आवासीय मकसद के लिए किराए पर लगाए गए मकान के मालिक अब दो महीने से अधिक का डिपॉज़िट नहीं ले सकेंगे। खासकर बड़े शहरों में चलन छह महीने या सालभर का एडवांस किराया लेने का रहा है। साथ ही मकान मालिक अब अचानक किराया नहीं बढ़ा पाएंगे। इसके लिए उन्हें पहले से नोटिस देना होगा। इसी तरह मकान मालिक अब किसी किरायेदार को अचानक घर खाली करने के लिए मजबूर नहीं कर सकेंगे। इसके लिए निश्चित नोटिस पीरियड और कानूनी प्रक्रिया का पालन करना होगा।
किराएदार किसी मरम्मत के लिए शिकायत करता है, तो मकान मालिक को ऐसा 30 दिन के अंदर कराना होगा। वरना, किराएदार को अधिकार होगा कि वह खुद मरम्मत करवा कर आए खर्च को किराए में एडजस्ट कर ले। उधर चूंकि किराएदारी के हर समझौते का डिजिटल स्टांप करवा कर ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कराना जरूरी होगा, तो उससे मकान मालिकों को सुरक्षा मिलेगी। यह भी तय किया गया है कि संबंधित ट्रिब्यूनल को सभी विवादों का निपटारा 60 दिन के अंदर करना होगा। ये अच्छी पहल है। मगर, यह भी सुनिश्चित करने की जरूरत होगी कि ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन जैसी प्रक्रियाएं उलझाऊ ना हों तथा इसे कराने की सारी जहमत किराएदारों को ही ना उठानी पड़े।
