पांच साल, पांच पीएम

Categorized as संपादकीय

जापान में 1955 में वर्तमान संविधान लागू होने के बाद के 70 वर्षों में से 66 साल एलडीपी ही सत्ता में रही है। फिर भी देश राजनीतिक अस्थिरता के दौर में है। उसकी वजहें देश में गहराया मायूसी का माहौल है।

जापान में 2020 के बाद से हर साल प्रधानमंत्री बदलने का सिलसिला आगे बढ़ रहा है। पिछले साल इस पद पर आए शिगेरु इशिबा ने इस्तीफा दे दिया है। यानी इस वर्ष भी देश को नया प्रधानमंत्री मिलगा। शिंजो आबे, योशिहिदे सुगा, और फुमियो किशिदा के बाद इशिबा इस दौर में चौथे प्रधानमंत्री बने थे। ये सभी लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी (एलडीपी) के नेता रहे हैं। जापान में दूसरे विश्व युद्ध के बाद से इसी पार्टी का वर्चस्व रहा है। 1955 में वर्तमान संविधान लागू होने के बाद के 70 वर्षों में से 66 साल यही पार्टी सत्ता में रही है। इसके बावजूद कोरोना काल और उसके बाद के दौर में राजनीतिक अस्थिरता बनी है, तो उसकी वजहें देश में गहराया मायूसी का माहौल है।

जापान की उदय कथा पर 1980 के दशक के अंत में कथित प्लाजा समझौते के तहत अमेरिका ने विराम लगा दिया था। तब से आर्थिक एवं सामाजिक गिरावट की कहानी संगीन होती गई है। उत्पादकता एवं पूंजी की प्रति इकाई पर मुनाफे की दर में भारी गिरावट को आसान मौद्रिक नीतियों के जरिए संभालने की कोशिशें क्रमिक रूप से बेअसर होती गई हैँ। अमेरिका के छेड़े ताजा व्यापार युद्ध ने हालात और बिगाड़ दिए हैँ। दूसरे विश्व युद्ध के बाद से जापान अमेरिका का अधीनस्थ देश रहा है। जापान की रक्षा नीति अमेरिका के हाथ में रही है और वहां अमेरिका के सबसे बड़े सैनिक अड्डे हैं।

साथ ही उसकी अर्थव्यवस्था अमेरिका से गहराई से जुड़ी रही है। वैसे तो जापान की अर्थव्यवस्था में गिरावट का कहानी लंबी हो चुकी है, मगर ताजा मार अमेरिकी टैरिफ वॉर से पड़ी है, जिसमें डॉनल्ड ट्रंप ने निकट सहयोगी देशों को भी नहीं बख्शा है। आम समझ है कि शिगेरु इशिबा उससे बने हालात का ही शिकार बने हैं। जुलाई में हुए संसद के ऊपरी सदन के चुनाव में उनकी पार्टी ने बहुमत गंवा दिया। उस चुनाव में धुर दक्षिणपंथी पार्टियों को बड़ी सफलता मिली। उससे इशिबा की स्थिति कमजोर हुई। और अब आखिरकार उन्हें पद छोड़ना पड़ा है। मगर इससे जापान की समस्या हल नहीं होगी। उसकी जड़ें काफी गहरा चुकी हैँ।


Previous News Next News

More News

इंदौर में दूषित पानी पीने से हुई मौत पर तीन अफसरों पर कार्रवाई

December 31, 2025

मध्य प्रदेश की व्यापारिक नगरी इंदौर के भागीरथपुरा इलाके में दूषित पानी पीने से हुई मौतों के मामले में मुख्यमंत्री मोहन यादव ने सख्त एक्शन लिया है और तीन अधिकारियों पर कार्रवाई की है।  दरअसल, भागीरथपुरा इलाके में दूषित पानी पीने के बाद लोगों को उल्टी की शिकायत हुई, जिनमें से कई लोग अस्पताल में…

सरकार का बड़ा फैसला, हाई-डोज निमेसुलाइड दवाओं पर लगाई रोक

December 31, 2025

सरकार ने दर्द और बुखार की दवाओं की उन सभी ओरल दवाओं के निर्माण, बिक्री और वितरण पर तुरंत प्रभाव से रोक लगा दी है, जिनमें निमेसुलाइड 100 मिलीग्राम से अधिक मात्रा में होता है और जो तुरंत असर करने वाली (इमीडिएट-रिलीज) होती हैं।  यह दवा ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट, 1940 की धारा 26ए के…

सरकार का बड़ा फैसला, हाई-डोज निमेसुलाइड दवाओं पर लगाई रोक

December 31, 2025

सरकार ने दर्द और बुखार की दवाओं की उन सभी ओरल दवाओं के निर्माण, बिक्री और वितरण पर तुरंत प्रभाव से रोक लगा दी है, जिनमें निमेसुलाइड 100 मिलीग्राम से अधिक मात्रा में होता है और जो तुरंत असर करने वाली (इमीडिएट-रिलीज) होती हैं।  यह दवा ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट, 1940 की धारा 26ए के…

डिलीवरी और ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म से जुड़े वर्कर्स ने फिक्स सैलरी और सुरक्षा की मांग उठाई

December 31, 2025

प्रमुख डिलीवरी और ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म से जुड़े वर्कर्स का आक्रोश बढ़ता जा रहा है। बुधवार को कई शहरों में गिग वर्कर्स ने हड़ताल का ऐलान किया है। इसी बीच, डिलीवरी पार्टनर्स का कहना है कि उनसे 14 घंटे तक काम लिया जाता है, लेकिन उसके हिसाब से कंपनियां पैसा नहीं देती हैं।  दिल्ली में समाचार…

डिलीवरी और ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म से जुड़े वर्कर्स ने फिक्स सैलरी और सुरक्षा की मांग उठाई

December 31, 2025

प्रमुख डिलीवरी और ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म से जुड़े वर्कर्स का आक्रोश बढ़ता जा रहा है। बुधवार को कई शहरों में गिग वर्कर्स ने हड़ताल का ऐलान किया है। इसी बीच, डिलीवरी पार्टनर्स का कहना है कि उनसे 14 घंटे तक काम लिया जाता है, लेकिन उसके हिसाब से कंपनियां पैसा नहीं देती हैं।  दिल्ली में समाचार…

logo