बिहार क्या चुनेगा, झूठे वादे या सचाई का संकल्प!

बिहार के लोगों के लिए अगले पांच साल और उससे भी आगे का भविष्य चुनने का समय आ गया है। चार दिन बाद गुरुवार, छह नवंबर को पहले चरण की 121 विधानसभा सीटों पर वोटिंग होगी। उससे पहले मुख्य मुकाबले वाले दोनों गठबंधनों का घोषणापत्र सामने आ गया है। एक तरफ है एक व्यक्ति का… Continue reading बिहार क्या चुनेगा, झूठे वादे या सचाई का संकल्प!

भारत क्यों चीन से पिछड़ा?

विडंबना है कि भारत में राष्ट्रवाद को “संकीर्णता” या “सांप्रदायिकता” कहा जाता है। चीन में क्षेत्रीय स्वायत्तता, मजहबी स्वतंत्रता, मानवाधिकार, पर्यावरण संरक्षण या व्यक्तिगत आजादी जैसे मूल्य तबतक स्वीकार्य हैं, जबतक वे उसके व्यापक लक्ष्यों में सहायक है। अगर कोई भी तत्व चीन के मकसद में बाधा बनता है, तो उससे सख्ती से निपटा जाता… Continue reading भारत क्यों चीन से पिछड़ा?

केरल का गरीबी मिटाने का दावा क्यो अंहम?

केरल सरकार के दावे की स्वतंत्र पुष्टि की जरूरत बनी हुई है, इसके बावजूद यह कहा जाएगा कि एलडीएफ सरकार neo-liberal fundamentalism से निकल कर एक वास्तविक एवं बुनियादी समस्या को देखने और समझने की ओर आगे बढ़ी है। इसलिए उसके दावे पर गंभीर चर्चा एवं बहस की जरूरत है, ताकि देश उस वैचारिक गतिरोध… Continue reading केरल का गरीबी मिटाने का दावा क्यो अंहम?

‘एक दीवाने की दीवानियत’ — टॉक्सिक जूनून

‘एक दीवाने की दीवानियत’ पर सबसे बड़ा प्रश्न इसका ‘संदेश’ है। क्या यह फिल्म प्यार की ताकत दिखाती है या प्यार के नाम पर नियंत्रण की संस्कृति को बढ़ावा देती है? विक्रम का किरदार अपने प्रेम को इतनी तीव्रता से जीता है कि वह दूसरे की स्वतंत्रता का अतिक्रमण कर देता है। यह वही समस्या… Continue reading ‘एक दीवाने की दीवानियत’ — टॉक्सिक जूनून

रो-को की सिडनी साझेदारी

भारत के लिए सत्ताईस हजार से ज्यादा रन बनाने वाले विराट कोहली का आक्रामकता से निकल कर संतोष में खेलना भी सभी देख रहे हैं। अपन ने भी खेल के जीवन से ही जीवन का खेल भी समझा है। इसलिए दो शून्य के बाद सिडनी में एक रन बनाने का जो संतोष कोहली को मिला,… Continue reading रो-को की सिडनी साझेदारी

बिहार के अंतःप्रवाह में तेजस्वी की उलटबांसी

अपने पैर पर कुल्हाड़ी नहीं, कुल्हाड़ी पर ही अपना पैर मार लेने की इन तमाम महागठबंधनीय-कोशिशों के बावजूद मैं अपने सपनों की दुनिया इस उम्मीद के भरोसे क़ायम रखना चाहता हूं कि राहुल-तेजस्वी की संयुक्त जनसभाओं के बाद महागठबंधन के प्रति मतदाताओं के भाव की अंतर्धारा और दृढ़ होती जाएगी और वह ‘मोशा’-एनडीए की डोली… Continue reading बिहार के अंतःप्रवाह में तेजस्वी की उलटबांसी

हार न मानने वाली की एक प्रेरक कहानी!

ऐसी कहानियाँ हमें याद दिलाती हैं कि पुलिस की वर्दी केवल कठोरता का प्रतीक नहीं, बल्कि भीतर छिपी संवेदनशीलता और शक्ति का भी प्रतिनिधित्व करती है। जब एक गर्भवती महिला अधिकारी वेटलिफ्टिंग में मेडल जीतती है, तो यह केवल एक खेलीय सफलता नहीं, बल्कि नारी सम्मान और मानव आत्मबल की पराकाष्ठा है। समाज को इस… Continue reading हार न मानने वाली की एक प्रेरक कहानी!

पटेल ने बनवाया था सोमनाथ मंदिर

जवाहरलाल के विरोध के बावजूद नवम्बर 1947 के मध्य में सरदार पटेल ने अपने प्रभास पाटन के दौरे के समय मंदिर का दर्शन किया। और एक सार्वजनिक सभा में घोषणा की कि नए साल के इस शुभ अवसर पर हमने फैसला किया है कि सोमनाथ का पुनर्निर्माण करना चाहिए। सौराष्ट्र के लोगों को अपना सर्वश्रेष्ठ… Continue reading पटेल ने बनवाया था सोमनाथ मंदिर

बिहार में वादों की विश्वसनीयता पर वोट

तेजस्वी प्रण में बिहार की सबसे बड़ी समस्या बेरोजगारी को एड्रेस किया गया है। हर घर में एक सरकारी नौकरी। बहुत बड़ा वादा है।… बिहार बेरोजगारी में भी देश में अव्वल है। प्रति व्यक्ति आय भी सबसे कम है और सबसे ज्यादा पलायन भी यहीं से होता है। इसलिए तेजस्वी का नौकरी का हर घर… Continue reading बिहार में वादों की विश्वसनीयता पर वोट

आर्थिक चाल बदली है तो नीति भी बदले!

भारत में अब खपत-आधारित विकास मॉडल उभर रहा है। पहले निवेश और बचत पर बल था; अब उपभोग और ऋण पर आधारित वृद्धि हो रही है।… उपभोक्ता कर्ज का फैलाव अब नई आर्थिक ताकत का संकेत बन चुका है। गांवों में भी अब डिजिटल लोन सहजता से मिल रहे हैं। पहले जहां साहूकार ऊंचे ब्याज… Continue reading आर्थिक चाल बदली है तो नीति भी बदले!

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