भारत के लिए सत्ताईस हजार से ज्यादा रन बनाने वाले विराट कोहली का आक्रामकता से निकल कर संतोष में खेलना भी सभी देख रहे हैं। अपन ने भी खेल के जीवन से ही जीवन का खेल भी समझा है। इसलिए दो शून्य के बाद सिडनी में एक रन बनाने का जो संतोष कोहली को मिला, वह वैसा ही था जो उनके खेल जीवन की शुरुआत में बनाए पहले रन में मिला होगा।
भारत एकदिवसीय क्रिकेट श्रृंखला ऑस्ट्रेलिया से हार चुका था। इसके बावजूद चालीस हजार से ज्यादा क्रिकेट प्रेमी सिडनी मैदान पर आखिरी एकदिवसीय देखने पहुंचे। रोहित शर्मा और विराट कोहली को आस्ट्रेलिया में शायद आखिरी बार खेलते देखने का भी मौका था। हार के बाद भी उत्सव की आशा में सिडनी मैदान भारतीय प्रवासियों से खचाखच भरा था।
रोहित शर्मा और विराट कोहली ने सुख-संपन्नता के लिए सात-समुंदर पार, आस्ट्रेलिया में बसे एक भी भारतीय को निराश नहीं किया। रोहित-कोहली ने जो सिडनी में शानदार धाकड़ बल्लेबाजी की, उसने अपने ही घर में ऑस्ट्रेलिया की श्रृंखला जीत के जश्न को फीका कर दिया। मैच के बाद रो-को ने ऑस्ट्रेलियाई दर्शकों को जुगलबंदी में धन्यवाद दिया। इसलिए जीवन के लगातार बदलते स्वरूप में, रो-को के ‘टू।ओ’ संस्करण को समझें।
जब रो-को सिडनी मैदान पर बल्लेबाजी के बादशाहों की तरह खेल रहे थे तो ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ी रहे केरी ओ’कीफ ने साथी कमेंटेटर रवि शास्त्री से सवाल किया। पूछा कि, ‘क्या आप मानते हैं कि विराट कोहली के आक्रामक व्यवहार ने भारत की क्रिकेट, उसके समाज, उसकी राजनीति और आर्थिकी को प्रभावित किया?’ गर्व से भरे शास्त्री ने कहा, ‘बेशक किया है।‘ कोहली का योगदान याद करते हुए, शास्त्री ने उनके द्वारा किए तप और त्याग का जिक्र भी किया।
कोहली के आज को उनके बीते खेल-जीवन में देखें तो दो दृश्य सामने आते हैं। युवाओं ने आक्रामकता में कोहली के हवा में मुक्का मारने को खूब सराहा व आत्मसार किया था। और उसी कोहली ने सिडनी के आखिरी एकदिवसीय में दो शून्य के बाद खाता खोलने पर, व पहला रन बनाने पर जो संतोष में मुक्का दिखाया, वह भी देखा। भारत के लिए सत्ताईस हजार से ज्यादा रन बनाने वाले विराट कोहली का आक्रामकता से निकल कर संतोष में खेलना भी सभी देख रहे हैं। अपन ने भी खेल के जीवन से ही जीवन का खेल भी समझा है।
इसलिए दो शून्य के बाद सिडनी में एक रन बनाने का जो संतोष कोहली को मिला, वह वैसा ही था जो उनके खेल जीवन की शुरुआत में बनाए पहले रन में मिला होगा। कोहली ने भी माना की, “क्रिकेट का महान खेल अद्भुत है। देश के लिए हजारों रन बनाने के बाद भी ऐसे दिन आ सकते हैं जब एक रन बनाना भी मुश्किल लगता है। खेल की यही चुनौती उनमें बल्लेबाजी का उत्साह भरती है। और खेलते रहने, रन बनाने के लिए प्रेरित करती है।“
सिडनी पारी के दौरान मिचेल स्टार्क की एक गेंद पर कोहली ने अपने चिर-परिचित, शानदार अंदाज में सीधा ड्राइव मारा तो दूसरे कमेंटेटर ने कहा कि जब कोहली के खेल-जीवन पर किताब लिखी जाएगी तो इस शॉट का चित्र उसका कवर होना चाहिए। कोहली की महान खेल योग्यता के साथ-साथ जीवन में किए तप और त्याग का विशेष महत्व रहा है। जिसको युवा और क्रिकेट प्रेमी नजरअंदाज नहीं कर सकते हैं।
वहीं सिडनी की दमदार, तेजतर्रार शतकीय पारी से रोहित शर्मा ने भी आत्मविश्वास भरा संतोष जताया। बताया कि अभी उनमें भी क्रिकेट बाकी है। जिस तरह एकदिवसीय टीम में रखते हुए उन्हें भारतीय कप्तानी से हटाया गया उस पर यह उनका तप था। दस किलो वजन कम कर के कोहली जैसा त्याग भी रोहित में है। वजन कम करने के ही कारण पिछले कई सालों में रोहित ने एक पारी में सौ से ज्यादा गेंद खेलने का खुद का रिकार्ड भी दोहराया। उनके लिए ऑस्ट्रेलिया में अच्छी बल्लेबाजी करना खास रहा है।
इसी बातचीत के दौरान एडम गिल्क्रिस्ट ने बताया की रोहित और कोहली ने भारत के लिए साझेदारी में साढ़े-पांच हजार से ज्यादा रन बनाए। दोनों के खाते में कुल मिलाकर भारत के लिए 84 एकदिवसीय शतक हैं। और जिन परिस्थितियों में रो-को ने रन बनाए उसको बयान करने के लिए पूरी किताब भी कम पड़ सकती है।
रोहित-कोहली ने अपनी बल्लेबाजी से जो उत्साह, जोश व आनंद भारत के, व दुनिया भर के क्रिकेट प्रेमियों को दिया उसका कोई सानी नहीं है। युवाओं को क्रिकेट खेलने के लिए प्रोत्साहित किया।
खेल के प्रति व्यवहार से प्रेरित किया। जीतने का जज्बा व जूझने की कर्मठता दर्शायी। सत्रह साल लगन तप व त्याग से दोनों भारत के लिए खेले हैं। रोहित और कोहली भारतीय क्रिकेट के, और हम क्रिकेट खेल प्रेमियों के देव-पुरुष समान हैं। क्रिकेट का स्वधर्म निभाते हुए दोनों ने खेल की सार्थकता को अपने मैदानी सत्य से प्रकाश प्रदान किया है। बनारस में 4-5 नवंबर को देव दीपावली मनाई जाएगी। इस देव-दीपावली पर बल्लेबाजी-देवत्व की साझेदारी के लिए रो-को के नाम का दीया भी प्रकाश दे।
