जमशेदपुर : शताब्दी समारोह में राष्ट्रपति मुर्मू ने गाया गीत

Categorized as प्रादेशिक समाचार

भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सोमवार को पूर्वी सिंहभूम जिले के करनडीह स्थित आदिवासी पूजास्थल ‘दिशोम जाहेरथान’ परिसर में संथाली भाषा की ओलचिकी लिपि के शताब्दी समारोह को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित करते हुए परंपरागत ज्ञान, संस्कृति और अस्मिता को संरक्षित रखने का आह्वान किया। उन्होंने ओलचिकी लिपि के जनक पंडित रघुनाथ मुर्मू को श्रद्धांजलि अर्पित की।

अपने संबोधन से पहले राष्ट्रपति ने संथाली भाषा में करीब तीन मिनट तक पारंपरिक ‘नेहोर गीत’ गाया। राष्ट्रपति ने कहा कि यह प्रार्थना गीत उन्होंने बचपन में सीखा था, जिसमें ‘जाहेर आयो’ (प्रकृति माता) से समाज को सदैव उजाले के मार्ग पर ले जाने की कामना की गई है।

ऑल इंडिया संथाली राइटर्स एसोसिएशन और दिशोम जाहेरथान कमेटी के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित समारोह में राष्ट्रपति मुर्मू ने संथाली भाषा में पूरा संबोधन दिया। उन्होंने कहा कि कार्यक्रम स्थल पर पहुंचना उनके लिए भावनात्मक क्षण है, जहां अपने लोगों का प्रेम और इष्टदेवों का आशीर्वाद उन्हें प्राप्त हुआ है।

आदिवासी समाज के स्वाभिमान और अस्तित्व की रक्षा में संथाली लेखकों और सामाजिक कार्यकर्ताओं के योगदान की सराहना करते हुए राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि आप अपने दैनिक जीवन से समय निकालकर ओल चिकी लिपि और संथाली भाषा के उत्थान के लिए निरंतर कार्य कर रहे हैं और ओलचिकी लिपि के जनक पंडित रघुनाथ मुर्मू के अधूरे सपनों को आगे बढ़ा रहे हैं। उन्होंने अटल बिहारी वाजपेयी के जन्म शताब्दी वर्ष के अवसर पर भारत सरकार की ओर से ओलचिकी लिपि में संविधान के प्रकाशन को संथाली समाज को सशक्त करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम बताया।

Also Read :

राष्ट्रपति मुर्मू ने इस बात पर जोर दिया कि संथाली भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल किए जाने के बाद यह आवश्यक है कि देश के नियम-कानून और प्रशासनिक व्यवस्थाओं की जानकारी संथाली भाषा में समाज के लोगों तक पहुंचे। समारोह में राष्ट्रपति ने संथाली भाषा और ओलचिकी लिपि के उत्थान में उल्लेखनीय योगदान देने वाले 12 लोगों को सम्मानित किया।

समारोह को राज्यपाल संतोष गंगवार और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भी संबोधित किया। राज्यपाल ने कहा कि राजभवन के द्वार आम लोगों के लिए सदैव खुले हैं और आदिवासियों के विकास से जुड़े हर प्रयास में राज्यपाल भवन सहयोग करेगा। मुख्यमंत्री सोरेन ने भी संथाली भाषा, संस्कृति और आदिवासी पहचान के संरक्षण के लिए राज्य सरकार की प्रतिबद्धता दोहराई।

Pic Credit : ANI


Previous News Next News

More News

ममता का जय मां दुर्गा और जय महाकाल!

December 31, 2025

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा के जय श्रीराम नारे का जवाब जय मां काली से दिया था। वे पूरे चुनाव में काली पूजा का महत्व बताती रहीं और मां काली की आराधना के मंत्र पढ़ती रहीं। अब वे एक कदम और आगे बढ़ गई हैं। उन्होंने दीघा में…

विजय को रोकना मुश्किल होगा

December 31, 2025

तमिल फिल्मों के सुपर सितारे विजय का राजनीतिक रथ रोकना तमिलनाडु की दोनों प्रादेशिक पार्टियों के लिए मुश्किल होता दिख रहा है। खबर है कि अन्ना डीएमके से अलग हुए दो लोकप्रिय नेता उनकी पार्टी में शामिल हो सकते हैं। पूर्व मुख्यमंत्री ओ पनीसेल्वम के विजय की पार्टी टीवीके में जाने की चर्चा है तो…

तेल पर सरकार की गजब कमाई

December 31, 2025

साल 2025 जा रहा है और इसका लेखा जोखा करते हुए एक बहुत दिलचस्प आंकड़ा सामने आया है। पता चला है कि इस साल यानी 2025 में पूरी दुनिया में कच्चा तेल बहुत सस्ता हुआ। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत कम होने से भारत सरकार को बड़ी कमाई हुई। कमाई दो तरह से…

भाजपा को रोकने के लिए पवार परिवार एकजुट

December 31, 2025

भारतीय जनता पार्टी के नेता और सोशल मीडिया में उसके इकोसिस्टम के लोग इस बात पर मजे ले रहे हैं कि शऱद पवार और अजित पवार की पार्टी एक हो गई। वे खुश हो रहे हैं कि शरद पवार ने भी महाराष्ट्र में स्थानीय निकाय चुनाव के बहाने कांग्रेस के नेतृत्व वाले विपक्षी गठबंधन को…

भारत की संभावनाओं की कुंजी

December 31, 2025

भारत को ऐसी सोच चाहिए जो व्यक्ति को केवल डेटा बिंदु नहीं, एक स्वायत्त, समझदार, गरिमामय नागरिक माने। एक ऐसी लोकतांत्रिक सोच जो यह माने कि प्रगति केवल आंकड़ों से नहीं, आशाओं और अवसरों से भी मापी जाती है। क्यों शिक्षा और तकनीक को नेतृत्व करना चाहिए? प्रसिद्ध अर्थशास्त्री एजाज़ ग़नी (मेरे जेएनयू के मित्र…

logo