अरावली बचाने के अभियान का दायरा बढ़ता जा रहा है। सिविल सोसायटी और विपक्षी पार्टियों के साथ साथ पत्रकार भी इसमें शामिल हो रहे हैं। उनके भी दो खेमे बन रहे हैं। इस मामले को लेकर दो बड़े टीवी एंकर्स के बीच दिलचस्प जंग छिड़ी है। एक एंकर दिल्ली की तिहाड़ जेल में कुछ समय काट कर आए हैं और दूसरे मुंबई की आर्थर रोड जेल में समय काट कर आए हैं। दोनों ने एक दूसरे को निशाना बनाया है और दोनों के समर्थन और विरोध में खुल कर खेमेबंदी हो रही है। इसमें एक और पत्रकार की एंट्री है। उनका भी मामला प्रदूषण और अरावली से जुड़ा है लेकिन इन दोनों से अलग है। इनका विवाद दिलचस्प इसलिए है क्योंकि जेल काट चुके दोनों एंकर्स सरकार के बड़े समर्थक हैं और सरकार विरोधी किसी भी एजेंडे पर कभी नहीं बोलते हैं।
सबसे आश्चर्य हुआ, जब मुंबई में जेल काट चुके नेशन वांट्स टू नो वाले पत्रकार ने दिल्ली में प्रदूषण का मुद्दा उठाया और दिल्ली की मुख्यमंत्री से लेकर केंद्रीय पर्यावरण मंत्री को कठघरे में खड़ा किया। लोगों ने हैरानी से उनका कार्यक्रम देखा। इसके बाद उन्होंने अरावली बचाने का बीड़ा उठाया और केंद्र सरकार से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक पर निशाना साधा। इसी दौरान उन्होंने कहा कि सरकार से 15 करोड़ रुपए लेने वाला एंकर यह सवाल नहीं पूछेगा। उनका इशारा तिहाड़ जेल जा चुके पत्रकार की ओर था, जिनके साथ दूरदर्शन ने 15 करोड़ रुपए साल का करार किया है। जवाब में 15 करोड़ वाले पत्रकार ने कहा कि टीवी इन दिनों ऑड ईवन चल रहा है। कभी इधर तो कभी उधर। इसके बाद उन्होंने आगे बढ़ कर एक कार्यक्रम किया, जिसमें भारत में प्रदूषण बढ़ने के लिए लोकतंत्र को जिम्मेदार ठहराया। इसके बाद फिर दूसरे वाले ने 15 करोड़ रुपए वाला एंकर कह कर निशाना साधा। अब अगली प्रतिक्रिया का इंतजार चल रहा है।
