कांग्रेस और दूसरी विपक्षी पार्टियों महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी कानून यानी मनरेगा को समाप्त करके उसकी जगह विकसित भारत जी राम जी बिल लाने के खिलाफ जो नैरेटिव बना रही है उसमें बुलडोजर शब्द का खास इस्तेमाल किया जा रहा है। कहा जा रहा है कि सरकार ने महात्मा गांधी के नाम से बने कानून को बुलडोजर चला कर ध्वस्त कर दिया। इसके पीछे एक कारण यह है कि कांग्रेस और दूसरी विपक्षी पार्टियां भाजपा की सरकारों के बुलडोजर न्याय को भी मुद्दा बनाना चाहती है। ध्यान रहे उत्तर प्रदेश सहित कई राज्य सरकारों ने कानून के छोटे बड़े उल्लंघन पर भी बुलडोजर चला कर आरोपियों के घर और दुकानें आदि ध्वस्त किए हैं। इसका शिकार अल्पसंख्यक समुदाय के लोग ज्यादा हैं। गरीब और कमजोर तबके लोगों के घरों और दुकानों पर भी बुलडोजर चले हैं। इसलिए विपक्ष ने मनरेगा को बुलडोजर करने का मुद्दा बनाया हुआ है।
कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने एक वीडियो अपील जारी की तो उसमें उन्होंने बुलडोजर शब्द का प्रयोग किया। उन्होंने कहा कि मनरेगा को बुलडोजर से ध्वस्त किया गया है। उससे पहले इस जुमले का इस्तेमाल जाने माने अर्थशास्त्री और समाजशास्त्री ज्यां द्रेज ने किया। उन्होंने ‘बीबीसी’ को दिए इंटरव्यू में कहा कि सरकार बुलडोजर बिल ले आई है। ध्यान रहे अरुण रॉय और ज्यां द्रेज ये दो लोग थे, जिन्होंने 2004 में सोनिया गांधी की नेशनल एडवाइजरी कौंसिल में सदस्य के तौर पर सूचना के अधिकार और काम के अधिकार कानून की रूपरेखा तैयार की थी। ज्यां द्रेज ने मनरेगा और जी राम जी बिल की तुलना करते हुए कहा कि पहले इस कानून का नाम नरेगा था और जब यूपीए सरकार ने इसमें महात्मा गांधी का नाम जोड़ा तब भी उन्होंने इसका विरोध किया था। उन्होंने कहा कि नरेगा की रूपरेखा तैयार करने में एक साल का समय लगा था। नेशनल एडवाइजरी कौंसिल की सिफारिश पर बिल तैयार हुआ, जिसे संसद में पेश किया गया और उसके बाद भाजपा नेता कल्याण सिंह की अध्यक्षता वाली संसदीय समिति ने इस पर विचार किया और उसके बाद इसे पास किया गया था। लेकिन भाजपा ने जी राम जी बिल को पेश करने के 72 घंटे के भीतर पास करा लिया।
