मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ चिंता में हैं। उन्होंने सार्वजनिक रूप से कहा है कि उत्तर प्रदेश में चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक चार करोड़ लोगों ने मतदाता प्रपत्र नहीं भरा है। यह लगभग एक चौथाई संख्या है। हालांकि अभी वहां समय है। चुनाव आयोग ने उत्तर प्रदेश के मुख्य चुनाव अधिकारी के अनुरोध पर मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण यानी एसआईआर को दो हफ्ते बढ़ा कर 26 दिसंबर तक कर दिया है। तभी योगी आदित्यनाथ ने पार्टी कार्यकर्ताओं और नेताओं से कहा है कि वे जी जान से जुटें और अगले 10 दिन में ज्यादा से ज्यादा लोगों के फॉर्म भरवाएं ताकि किसी का नाम नहीं कटे। गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश की आबादी 25 करोड़ के करीब है, जिसमें से 16 करोड़ के करीब वोटर होने चाहिए लेकिन 13 दिसंबर तक 12 करोड़ ही फॉर्म जमा हो पाए थे।
योगी आदित्यनाथ ने बहुत साफ शब्दों में अपनी चिंता बताई और उनकी चिंता यह है कि जो फॉर्म नहीं जमा हुए हैं उनमें से ज्यादातर हिंदुओं के हैं। इस बीच उनके ऊपर एसआईआर की प्रक्रिया में दखल देने के आरोप भी लगे हैं। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने कहा है कि एसआईआर कराना चुनाव आयोग का काम है लेकिन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इसकी समीक्षा करते हैं, जो गलत है। उन्होंने इसकी शिकायत चुनाव आयोग से करने की भी बात कही। क्या बड़ी संख्या में हिंदुओं के मतदाता प्रपत्र नहीं जमा करने से चिंतित योगी आदित्यनाथ ने सचमुच सीमा का अतिक्रमण करके एसआईआर की प्रगति की समीक्षा की है? पार्टी नेता के तौर पर वे देख सकते हैं कि भाजपा की ओर से नियुक्त बूथ लेवल एजेंट्स लोगों के फॉर्म भरवाएं लेकिन वे आधिकारिक रूप से एसआईआर की समीक्षा नहीं कर सकते हैं।
