पहले ऐसा लग रहा था कि भाजपा को अब उत्तर प्रदेश में कुर्मी राजनीति करने की जरुरत नहीं है। ऐसा मानने का कारण यह था कि बिहार में भाजपा ने हाल के दिनों के सबसे बड़े कुर्मी नेता नीतीश कुमार को मुंख्यमंत्री बनाया है। उनके नाम पर बिहार का चुनाव लड़ा गया और एतिहासिक जनादेश लेकर एऩडीए की सरकार बनी। नीतीश कुमार ने 10वीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली तो सम्राट चौधरी फिर से उप मुख्यमंत्री बने। सो, भाजपा ने कुर्मी और कोईरी का समीकऱण मजबूती के साथ स्थापित कर दिया था। फिर भी उत्तर प्रदेश में कुर्मी प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया और कोईरी उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य पहले से हैं।
तभी सवाल है कि क्या बिहार मे कुछ बदलाव हो सकता है? ध्यान रहे पहले कहा जा रहा था कि सेहत के आधार पर भी नीतीश कुमार की विदाई उत्तर प्रदेश के चुनाव के बाद ही होगी। उससे पहले भाजपा जोखिम नहीं ले सकती है। इसका कारण यह भी था कि लोकसभा चुनाव में अखिलेश यादव का पीडीए काम कर गया। वे यादव के अलावा कोईरी, कुर्मी, शाक्य आदि का भी वोट लेने में कामयाब हुए थे। हालांकि विधानसभा में इसकी संभावना कम हो जाती है। फिर भी भाजपा ने उत्तर प्रदेश में कुर्मी जाति से आने वाले पंकज चौधरी को अध्यक्ष बनाया है। इसे लेकर बिहार में अनिश्चितता बढ़ गई है। वहां पहले दिन से जदयू और भाजपा अपनी अपनी राजनीति कर रहे हैं। जदयू की ओर से सबसे बड़ी पार्टी बनने का प्रयास किया जा रहा है।
