पंजाब विधानसभा चुनाव में अब एक साल से थोड़ा ज्यादा समय बचा है। 2027 के मार्च में विधानसभा चुनाव होने वाला है। उससे पहले अकाली दल और भारतीय जनता पार्टी में तालमेल की अटकलें शुरू हो गई हैं। जानकार सूत्रों का कहना है कि दोनों पार्टियों में बैक चैनल वार्ता शुरू हो गई है। कहा जा रहा है कि दोनों पार्टियों को अंदाजा हो गया है कि अकेले लड़ कर उनको कुछ भी हासिल नहीं होने वाला है। गौरतलब है कि दोनों पार्टियों का करीब 30 साल का गठबंधन था, जो तीन विवादित कृषि कानूनों और किसान आंदोलन की वजह से टूट गया। उस समय अकाली दल की हरसिमरत कौर बादल केंद्र सरकार में मंत्री थीं। उन्होंने चुनाव से ऐन पहले किसान आंदोलन के मसले पर केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा दिया और अकाली दल ने एनएडीए से तालमेल तोडा। उसके बाद 2022 के विधानसभा चुनाव में और फिर 2024 के लोकसभा चुनाव में दोनों पार्टियों को बड़ा झटका लगा। अकाली दल 15 से घट कर चार सीट पर आ गई और भाजपा दो से घट कर एक सीट पऱ आ गई।
इसी तरह लोकसभा चुनाव में अकाली दल दो से घट कर एक सीट पर रह गई और भाजपा दो से घट कर जीरो पर आ गई। अब फिर विधानसभा का चुनाव आ रहा है। दोनों पार्टियों की ओर से कराए गए सर्वेक्षण से पता चल रहा है कि अगर दोनों साथ आ जाएं तो मजबूत त्रिकोणात्मक मुकाबला हो जाएगा। यह बात 2022 और 2024 के चुनाव में दोनों पार्टियों को मिले वोट प्रतिशत में भी दिख रहा है। 2022 के विधानसभा चुनाव में अकाली दल को 20 फीसदी से कुछ ज्यादा वोट मिले थे और भाजपा के गठबंधन को करीब आठ फीसदी वोट मिले थे। 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को साढ़े 18 फीसदी और अकाली दल को साढ़े 13 फीसदी वोट मिला। यानी दोनों का वोट मिला कर देखें तो विधानसभा के मुकाबले तीन फीसदी का इजाफा हो गया। दोनों का वोट 31 फीसदी था, जो आम आदमी पार्टी और कांग्रेस को मिले 26-26 फीसदी वोट से पांच फीसदी ज्यादा था। तभी दोनों पार्टियों के नेताओं को लग रहा है कि गठबंधन करके लड़ने पर त्रिकोणात्मक मुकाबले में आप और कांग्रेस को हराया जा सकता है। तभी गठबंधन की तैयारी हो रही है और संभावना है कि जल्दी ही दोनों पार्टियां इसे औपचारिक रूप देंगी। फिर हरसिमरत कौर बादल की सरकार में वापसी होगी।
