मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण यानी एसआईआर की अंतिम समय सीमा एक बार फिर बढ़ाई गई है। उत्तर प्रदेश के मुख्य चुनाव अधिकारी ने दो हफ्ते का और समय देने का आग्रह किया था। कुछ और राज्यों ने इस तरह का अनुरोध किया था तो चुनाव आयोग ने एक बार फिर एसआईआर की समय सीमा बढ़ाई है। सवाल है कि जिन राज्यों में अभी एसआईआर की प्रक्रिया चल रही है उन राज्यों में अगर तत्काल चुनाव नहीं है तो फिर एक ही बार में चुनाव आयोग ने ज्यादा समय क्यों नहीं दिया, जो एक महीने की अंतिम तारीख देकर उसके बाद किस्तों में समय सीमा बढ़ाई जा रही है?
ध्यान रहे चुनाव आयोग ने चार नवंबर से एसआईआर शुरू कराया था और चार दिसंबर को पहले चरण की समय सीमा समाप्त हो रही थी। लेकिन जब लगा कि समय पर काम नहीं पूरा होगा और सुप्रीम कोर्ट ने भी आयोग को समय बढ़ाने को कहा तो उसने एक हफ्ते के लिए समय सीमा बढ़ा कर उसे 11 दिसंबर कर दिया। इस बीच केरल में काम बहुत पिछड़ गया तो वहां अलग से एक हफ्ता और बढ़ाया गया। अब 11 दिसंबर की समय सीमा समाप्त होने से पहले कई राज्यों ने इसे बढ़ाने की मांग की तो फिर से इसे बढ़ा दिया गया। अगर चुनाव आयोग ने समझदारी दिखाई होती और एक महीने में ही पहला चऱण पूरा कराने की जिद नहीं ठानी होती तो बूथ लेवल अधिकारियों यानी बीएलओज के ऊपर उतना दबाव नहीं पड़ता और बड़ी संख्या में आत्महत्या या मौतें नहीं होतीं। अभी भी चुनाव आयोग अपनी जिद के कारण ही किस्तों में समय सीमा बढ़ा रहा है। पहले ही एक बार में एक महीने और समय बढ़ा दिया जाता तब भी कोई समस्या नहीं आती।
