अरसे बाद भारतीय संसद में जजों के खिलाफ महाभियोग लाया गया और एक महाभियोग आया तो उसका सिलसिला ही शुरू हो गया। बड़ी जद्दोजहद के बाद दिल्ली हाई कोर्ट के जज रहे जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ लोकसभा में महाभियोग का प्रस्ताव पेश हुआ। सरकार की ओर से यह प्रस्ताव लाया गया, जिस पर स्पीकर ने जांच कमेटी का गठन कर दिया है। जांच की रिपोर्ट आने के बाद संसद में उस पर चर्चा होगी और अगर उससे पहले जस्टिस वर्मा का इस्तीफा नहीं होता है तो उनको महाभियोग के जरिए हटाया जाएगा। वे अभी इलाहाबाद हाई कोर्ट में जज हैं। उनके घर से बड़ी मात्रा में नकदी मिलने के आरोप लगे हैं।
इस बीच अब विपक्ष की ओर से मद्रास हाई कोर्ट की मदुरै बेंच के जज जस्टिस जीआर स्वामीनाथन के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव पेश किया है। उन पर धार्मिक सद्भाव बिगाड़ने वाले फैसले देने का आरोप डीएमके, कांग्रेस, सपा आदि ने लगाए हैं। उन्होंने सुब्रमण्यम स्वामी मंदिर के अधिकारियों को वहां एक दरगाह के पास स्थित पिलर पर दीप जलाने की अनुमति दी है। उनके खिलाफ महाभियोग के प्रस्ताव पर 107 सांसदों ने दस्तखत किए हैं। महाभियोग के लिए 50 सांसदों के दस्तखत की जरुरत होती है। डीएमके नेता कनिमोझी ने बताया कि स्पीकर ओम बिरला ने कहा है कि वे इस पर विचार करेंगे। इसी तरह सांप्रदायिक टिप्पणी को लेकर इलाहाबाद हाई कोर्ट के जस्टिस शेखर यादव के खिलाफ राज्यसभा के 50 सांसदों ने महाभियोग का प्रस्ताव पेश किया है। हालांकि यह प्रस्ताव दस्तखत में गड़बड़ी की वजह से विवाद में फंस गया।
