संसद में वंदे मातरम पर हुई चर्चा में भाजपा के साथ साथ उसकी लगभग सभी सहयोगी पार्टियों ने उसके हिसाब से भाषण दिया। सांसदों की संख्या के लिहाज से तीन सबसे बड़ी सहयोगी पार्टियों में से तेलुगू देशम पार्टी और लोक जनशक्ति पार्टी रामविलास ने भी भाजपा के हिसाब से भाषण दिया लेकिन जनता दल यू ने अलग लाइन ली। जदयू ने यह नहीं कहा कि कांग्रेस पार्टी ने वंदे मातरम के चार अंतरे हटाए और उसने जिन्ना या मुस्लिम लीग के आगे सरेंडर किया। भाजपा की कोशिश इसी राजनीतिक लाइन को स्थापित करने की थी।
जनता दल यू की ओर से सीतामढ़ी के सांसद देवेश चंद्र ठाकुर ने अपने भाषण में वंदे मातरम की महानता बताई और कहा कि कैसे यह आजादी की लड़ाई का गीत बन गया था इस बारे में बताया। 1937 में कांग्रेस अधिवेशन में वंदे मातरम के चार अंतरे हटाने का उन्होंने जिक्र नहीं किया। ऐसा लग रहा है कि बिहार की राजनीति में जनता दल यू और भाजपा दोनों शह मात का खेल खेल रहे हैं। ध्यान रहे चुनाव के तुरंत बाद खबर आई थी कि जनता दल यू को सबसे बड़ी पार्टी बनना है और इसके लिए कई छोटी पार्टियों पर उसकी नजर है। अब नीतीश कुमार के बेटे निशांत को लाकर स्थापित करने का प्रयास हो रहा है। तभी जदयू के नेता पूरी तरह से भाजपा की लाइन नहीं पकड़ रहे हैं। ध्यान रहे भाजपा के साथ रहते हुए भी नीतीश अपने सेकुलर वोट को बचाए रखने की कोशिश करते हैं।
