झारखंड का वित्तीय संकट गहरा है

Categorized as राजनीति

झारखंड में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के भारतीय जनता पार्टी के साथ मिल कर सरकार बनाने की अटकलों के पीछे एक कारण यह बताया जा रहा है कि सरकार के पास जरूरी काम के लिए पैसे नहीं हैं। राज्य की वित्तीय हालत बहुत खराब है। यहां तक कहा जा रहा है कि कर्मचारियों के वेतन और पेंशन के लिए सरकार के पास फंड की कमी है। इसका एक कारण यह है कि सरकार की अपने स्रोत से होने वाली आय कम हो गई है। दूसरा कारण यह है कि केंद्र सरकार से मिलने वाले कर राशि में भी कमी आई है और अनुदान राशि तो बहुत कम हो गई है। इसके अलावा तीसरा कारण यह है कि झारखंड मुक्ति मोर्चा को चुनाव जिताने वाली मइया सम्मान योजना में बहुत ज्यादा पैसे जा रहे हैं। ध्यान रहे महिलाओं को हर महीने नकद राशि देने की योजना देश की कई सरकारें चला रही हैं लेकिन सबसे ज्यादा पैसा झारखंड सरकार दे रही है। सोचें, महाराष्ट्र जैसा अमीर राज्य डेढ़ हजार रुपया महीना दे रहा है और मध्य प्रदेश ने हाल में साढ़े 12 सौ रुपए से बढ़ा कर डेढ़ हजार रुपए महीना देना शुरू किया है, जबकि झारखंड की सरकार ढाई हजार रुपए महीना दे रही है। दिल्ली सरकार ने तो चुनाव जीतने के बाद पैसा देना ही शुरू नहीं किया है, जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वंय प्रचार में कहा था कि आठ मार्च 2025 को महिला दिवस के दिन महिलाओं के खाते में पैसे आ जाएंगे।

बहरहाल, मैया सम्मान योजना के तहत औसतन 60 लाख महिलाओं को ढाई हजार रुपए दिए जा रहे हैं। इसके लिए मोटे तौर पर 18 हजार करोड़ रुपए सालाना की जरुरत है। राज्य सरकार का बजट एक लाख 45 हजार करोड़ रुपए का है, जिसमें से करीब 18 हजार करोड़ रुपए एक योजना में महिलाओं को नकद बांटने में जा रहे हैं। इसके अलावा भी कई योजनाएं हैं, जिसमें अलग अलग समूहों को नकद मदद दी जाती है। तभी ऐसी स्थिति हो गई है कि झारखंड सरकार के पास न तो बुनियादी ढांचे के विकास पर खर्च करने के लिए पैसा बच रहा है और न कोई अन्य योजना शुरू हो पा रही है। सभी विभागों के पैसे मइया सम्मान योजना में भेजे जा रहे हैं। बचे हुए पैसे से स्थापना का काम हो रहा है या वेतन, पेंशन और कार्यालय चलाने का खर्च हो रहा है।

एक रिपोर्ट के मुताबिक राज्य सरकार ने चालू वित्त वर्ष के बजट में अपने स्रोत से एक लाख 43 हजार करोड़ रुपए जुटाने का लक्ष्य रखा था। लेकिन पहले छह महीने में सिर्फ 46 हजार करोड़ यानी 32 फीसदी संग्रह का लक्ष्य पूरा हुआ। ऐसे ही केंद्र से कर के रूप में 47 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा मिलना था लेकिन वह भी 38 हजार करोड़ ही मिला। केंद्रीय अनुदान तो बहुत ही कम हो गया। अनुदान या सहायता के रूप में केंद्र से 17 हजार करोड़ रुपए मिलने थे, जिसमें से पहले छह महीने में दो हजार करोड़ रुपया भी नहीं मिला। केंद्र से अनुदान की सिर्फ 11 फीसदी राशि मिली है। तभी कई लोग यह सिद्धांत प्रतिपादित कर रहे हैं कि हेमंत सोरेन अगर भाजपा के साथ चले जाएं तो निजी समस्याओं के साथ साथ राज्य के वित्तीय संकट का भी हल निकल जाएगा। हालांकि ऐसा होने की संभावना बहुत कम है क्योंकि उनके और उनकी पार्टी के सामने वित्तीय संकट नहीं है तो राज्य के वित्तीय संकट की क्यों परवाह करनी है।


Previous News Next News

More News

इंदौर में दूषित पानी पीने से हुई मौत पर तीन अफसरों पर कार्रवाई

December 31, 2025

मध्य प्रदेश की व्यापारिक नगरी इंदौर के भागीरथपुरा इलाके में दूषित पानी पीने से हुई मौतों के मामले में मुख्यमंत्री मोहन यादव ने सख्त एक्शन लिया है और तीन अधिकारियों पर कार्रवाई की है।  दरअसल, भागीरथपुरा इलाके में दूषित पानी पीने के बाद लोगों को उल्टी की शिकायत हुई, जिनमें से कई लोग अस्पताल में…

सरकार का बड़ा फैसला, हाई-डोज निमेसुलाइड दवाओं पर लगाई रोक

December 31, 2025

सरकार ने दर्द और बुखार की दवाओं की उन सभी ओरल दवाओं के निर्माण, बिक्री और वितरण पर तुरंत प्रभाव से रोक लगा दी है, जिनमें निमेसुलाइड 100 मिलीग्राम से अधिक मात्रा में होता है और जो तुरंत असर करने वाली (इमीडिएट-रिलीज) होती हैं।  यह दवा ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट, 1940 की धारा 26ए के…

सरकार का बड़ा फैसला, हाई-डोज निमेसुलाइड दवाओं पर लगाई रोक

December 31, 2025

सरकार ने दर्द और बुखार की दवाओं की उन सभी ओरल दवाओं के निर्माण, बिक्री और वितरण पर तुरंत प्रभाव से रोक लगा दी है, जिनमें निमेसुलाइड 100 मिलीग्राम से अधिक मात्रा में होता है और जो तुरंत असर करने वाली (इमीडिएट-रिलीज) होती हैं।  यह दवा ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट, 1940 की धारा 26ए के…

डिलीवरी और ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म से जुड़े वर्कर्स ने फिक्स सैलरी और सुरक्षा की मांग उठाई

December 31, 2025

प्रमुख डिलीवरी और ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म से जुड़े वर्कर्स का आक्रोश बढ़ता जा रहा है। बुधवार को कई शहरों में गिग वर्कर्स ने हड़ताल का ऐलान किया है। इसी बीच, डिलीवरी पार्टनर्स का कहना है कि उनसे 14 घंटे तक काम लिया जाता है, लेकिन उसके हिसाब से कंपनियां पैसा नहीं देती हैं।  दिल्ली में समाचार…

डिलीवरी और ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म से जुड़े वर्कर्स ने फिक्स सैलरी और सुरक्षा की मांग उठाई

December 31, 2025

प्रमुख डिलीवरी और ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म से जुड़े वर्कर्स का आक्रोश बढ़ता जा रहा है। बुधवार को कई शहरों में गिग वर्कर्स ने हड़ताल का ऐलान किया है। इसी बीच, डिलीवरी पार्टनर्स का कहना है कि उनसे 14 घंटे तक काम लिया जाता है, लेकिन उसके हिसाब से कंपनियां पैसा नहीं देती हैं।  दिल्ली में समाचार…

logo