यह बड़ा सवाल है कि अगर रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन चाहते कि दिल्ली में वे सोनिया और राहुल गांधी या मल्लिकार्जुन खड़गे से मिलेंगे तो क्या केंद्र सरकार उनको ऐसा करने से रोक सकती थी? पुतिन या कोई भी विदेशी मेहमान अगर अपनी यात्रा के दौरान किसी से मिलना चाहता या किसी खास जगह पर जाना चाहता है तो सरकार उसको नहीं रोक सकती है। उसको रोकने का एक ही आधार हो सकता है कि उसकी सुरक्षा को खतरा हो या उसकी यात्रा देश की एकता, अखंडता और संप्रभुता के खिलाफ हो। लोकसभा या राज्यसभा के नेता प्रतिपक्ष से मिलना इनमें से किसी श्रेणी में नहीं आता है। तभी अगर पुतिन मिलना चाहते तो सरकार उनको रोक नहीं सकती थी।
लेकिन सवाल है कि पुतिन क्यों राहुल गांधी से मिलना चाहते? एक तो पुतिन के मन में विपक्ष के लिए कोई सम्मान नहीं होगा क्योंकि उन्होंने अपने देश में विपक्ष को समाप्त कर दिया है। इसलिए यह सोचना बेमानी है कि वे भारत आएंगे तो विपक्षी पार्टियों के नेताओं से मिलेंगे। दूसरी बात यह है कि पुतिन भारत के साथ सौदा करने आए थे और उनको पता होगा कि भारत सरकार अपने देश की विपक्षी पार्टियों खास कर मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस के प्रति क्या रुख रखती है। ऐसे में वे क्यों कांग्रेस नेताओं से मिल कर व्यापार की अपनी संभावना को खराब करते। इसलिए उन्होंने दूरी रखी। हां, यह जरूर है कि केंद्र सरकार चाहती तो राष्ट्रपति भवन में आयोजित राजकीय भोज में राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे को बुला सकती थी। लेकिन उसने इन दोनों की बजाय शशि थरूर को बुलाया। सोचें, संसद की एक स्थायी समिति के अध्यक्ष को बुलाया जाएगा लेकिन नेता प्रतिपक्ष को नहीं बुलाया जाएगा! यह न्यू इंडिया है!
