कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल ने बुधवार को झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को फोन किया और मीडिया में चल रही अटकलों के बारे में बात की। बाद में उन्होंने कहा कि जेएमएम और कांग्रेस का गठबंधन पक्का है और कोई बदलाव नहीं होने जा रहा है। लेकिन यह मामूली बात नहीं है कि मीडिया में चल रही खबरों के कारण कांग्रेस के संगठन महासचिव को चिंता हुई और उन्होंने मुख्यमंत्री से टेलीफोन पर बात की। सोचें, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन शनिवार से लेकर बुधवार तक दिल्ली में थे और दिल्ली में कांग्रेस नेताओं से न बात हुई और न मुलाकात हुई। यह सही है कि वे निजी कारण से दिल्ली में थे। उनके ससुर इलाज के लिए गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में भर्ती हैं। लेकिन इसी यात्रा के दौरान शनिवार की रात को उनके भाजपा के एक बड़े नेता से मिलने की खबर आई। रविवार को यह खबर सामने आ गई थी। सवाल है कि उसके बाद हेमंत सोरेन या जेएमएम की ओर से इन खबरों का खंडन क्यों नहीं किया गया या कांग्रेस की ओर से तीन दिन तक हेमंत से संपर्क क्यों नहीं किया गया?
जब हेमंत सोरेन दिल्ली में कांग्रेस के किसी भी नेता से मिले या बात किए बगैर बुधवार की शाम को रांची लौटे तब केसी वेणुगोपाल ने उनसे फोन पर बात की। उससे पहले जेएमएम के ऑफिशियल एक्स हैंडल से तीन शब्द का एक पोस्ट लिखा गया, ‘झारखंड झुकेगा नहीं’। सवाल है कि अपनी बात इतने सूत्र वाक्य में कहने की क्या जरुरत है और दूसरा सवाल है कि कौन झारखंड को झुका रहा है क्या मुख्यमंत्री को किसी किस्म की धमकी दी गई है? ध्यान रहे पार्टी के सारे प्रवक्ता खामोश हैं। वे मीडिया की खबरों पर कुछ नहीं बोल रहे हैं। दूसरी ओर प्रदेश भाजपा में चार पूर्व मुख्यमंत्रियों को छोड़ कर बाकी सारे नेता इस खबर से खुश हैं। झारखंड भाजपा में तो ऐसे नेताओं की पहचान की जा रही है, जो मंत्री बन सकते हैं और इस पर भी चर्चा हो रही है कि भाजपा के खाते में कौन कौन मंत्रालय आएगा। लब्बोलुआब यह है कि भाजपा चुप है और जेएमएम भी चुप है। खबरों को फैलने दिया जा रहा है। ऐसा लग रहा है कि इसी वजह से कांग्रेस की चिंता बढ़ी है।
कांग्रेस की चिंता का एक कारण यह है कि उसके नेताओं को झारखंड में पार्टी टूटने का खतरा दिख रहा है। जानकार सूत्रों का कहना है कि एक तरफ जेएमएम के नेता भाजपा के संपर्क में हैं तो दूसरी ओर कांग्रेस को तोड़ने की कोशिश भी कर रहे हैं। बिहार चुनाव के बाद हेमंत सोरेन इस मामले में सीरियस हुए हैं। उनको भी यह खबर है कि राहुल गांधी प्रादेशिक पार्टियों को कमजोर करने की राजनीति कर रहे हैं और उन्होंने यह काम बिहार में तेजस्वी यादव के साथ किया है। इसलिए पहले ही हेमंत सोरेन ने कांग्रेस के विधायकों को तोड़ने की तैयारी शुरू कर दिया है। कहा जा रहा है कि अगर सब प्लान के मुताबिक हुआ तो कांग्रेस के 16 में से 12 और राजद के सभी चार विधायक जेएमएम में चले जाएंगे। गौरतलब है कि हेमंत सोरेन के अपने 34 विधायक हैं और सदन में बहुमत का आंकड़ा 41 का है। वे पूरी तरह से आत्मनिर्भर होने की दिशा में बढ़ रहे हैं। बहरहाल, दोनों में से किस प्लान पर अमल होगा और कब होगा, यह देखने वाली बात होगी।
