यह कमाल की बात है कि बिहार में अभी अभूतपूर्व जनादेश के साथ नई सरकार बनी है लेकिन बनने के साथ साजिश थ्योरी की चर्चा शुरू हो गई है। झारखंड में भी हेमंत सोरेन की सरकार पिछली बार से ज्यादा बड़े बहुमत से बनी है लेकिन सरकार के एक साल पूरा होते होते वहां भी कई किस्म की साजिश थ्योरी की चर्चा हो रही है। ऐसा लग रहा है कि इन दोनों राज्यों में भाजपा ही इस किस्म की चर्चा करा रही है। क्योंकि हर साजिश थ्योरी में भाजपा को ही फायदा होने की बात सामने आ रही है और प्रादेशिक पार्टियों के खत्म हो जाने की संभावना जताई जा रही है। तभी सवाल है कि क्या प्रादेशिक पार्टियां अपने हितों को नहीं समझ रही हैं? असल में उनको पता है कि उनका हित किसमें है। फिर भी वे इस किस्म की चर्चा चलने दे रही हैं।
अगर झारखंड की बात करें तो यह चर्चा है कि कांग्रेस, राजद और लेफ्ट को छोड़ कर हेमंत सोरेन भाजपा के साथ सरकार बनाने जा रहे हैं। हालांकि यह नई चर्चा नहीं है। पिछले पांच साल के कार्यकाल के दौरान भी बार बार ऐसा कहा जा रहा था। लेकिन इस बार तो टाइमलाइन दी जा रही है। बताया जा रहा है कि हेमंत सोरेन की दिल्ली में अमित शाह से मुलाकात हो गई है और जल्दी ही झारखंड में नया गठबंधन बनने जा रहा है। यह भी कहा जा रहा है कि भाजपा को उप मुख्यमंत्री का पद और चार मंत्री पद मिलेंगे। झारखंड भाजपा के कई नेता डिप्टी सीएम की दावेदारी करने लगे हैं। इस साजिश थ्योरी के पीछे दो बातें कही जा रही हैं। एक तो यह कि कोयला और खनन से जुड़े दूसरे घोटालों में हेमंत सोरेन को जेल जाना पड़ सकता है। इससे बचने के लिए भाजपा के साथ जाना ही विकल्प है। इसी थीसिस में यह भी कहा जा रहा है कि भाजपा चाहती है कि हेमंत अपनी पत्नी कल्पना सोरेन को सीएम बना दें।
दूसरी थ्योरी वैचारिक है, जिसके मुताबिक भाजपा झारखंड की जनसंख्या संरचना बदलने से चिंतित है और उसने हेमंत को भी यह बात समझाई है कि आदिवासी खत्म हो जाएंगे तो उनकी राजनीति का क्या मतलब बचेगा। संथालपरगना में बढ़ती मुस्लिम आबादी और दक्षिण छोटानागपुर में बढ़ती ईसाई आबादी को खतरा बताया जा रहा है। इसके अलावा यह भी कहा जा रहा है कि केंद्र की मदद के बगैर राज्य में अब कोई काम नहीं हो सकता है क्योंकि राज्य सरकार का सारा फंड सरकार चलाने या मइया सम्मान जैसी योजनाओं में पैसा बांटने में जा रहा है। हालांकि सबको पता है कि हेमंत का भाजपा के साथ जाना आत्मघाती होगा। फिर भी जोर शोर से इस बात की चर्चा हो रही है।
उधर बिहार में अभी से इस बात की चर्चा शुरू हो गई है कि नीतीश कुमार को हटा कर भाजपा अपना सीएम बनाने जा रही है तो दूसरी ओर नीतीश कुमार ने छोटी पार्टियों को तोड़ कर जनता दल यू को सबसे बड़ी पार्टी बनाने की मुहिम शुरू कर दी है। पहले कहा जा रहा था कि नेतृत्व परिवर्तन का काम उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले किसी हाल में नहीं होगा। लेकिन अब पश्चिम बंगाल चुनाव तक की डेडलाइन दी जा रही है। कई लोग तो दो महीने की डेडलाइन दे रहे हैं। उधर जनता दल यू के नेताओं द्वारा आईआईपी से जीते आईपी गुप्ता और बसपा के पिंटू यादव से बात किए जाने की खबर है। ओवैसी की पार्टी के चार विधायकों के भी जनता दल यू में जाने की खबरें कई दिन से चल रही हैं।
