केरल की तिरूवनंतपुरम सीट से कांग्रेस के सांसद शशि थरूर ने कांग्रेस नेतृत्व की परेशानी बढ़ाई है। अगले साल अप्रैल में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले थरूर की राजनीति कांग्रेस को नुकसान पहुंचा सकती है। वे लगातार कांग्रेस पार्टी से अलग लाइन पर बयान दे रहे हैं और कांग्रेस से दूरी भी बना रहे हैं। रविवार, 30 नवंबर को वे लगातार दूसरी बार कांग्रेस की ओर से बुलाई गई अहम बैठक में शामिल नहीं हुए। 30 नवंबर को संसद के शीतकालीन सत्र से पहले सोनिया गांधी ने रणनीतिक समूह की बैठक बुलाई थी, जिसमें थरूर ने हिस्सा नहीं लिया। उन्होंने कहा कि वे अपनी 90 साल की माताजी के साथ हैं। बुजुर्ग माताजी की सेवा करने से किसी को समस्या नहीं है। लेकिन बैठक में हिस्सा नहीं लेने का यह कारण किसी के गले नहीं उतरा। इससे पहले भी वे एसआईआर पर बुलाई गई बैठक में भी नहीं शामिल हुए थे।
अब कांग्रेस के नेता भी कहने लगे हैं कि शशि थरूर चाहते हैं कि पार्टी उनके खिलाफ कार्रवाई करे। अगर कांग्रेस कार्रवाई करती है और उनको पार्टी से निकालती है तो उनको लोकसभा की सीट से इस्तीफा नहीं देना होगा। अगर वे खुद छोड़ते हैं तो इस्तीफा देना होगा या कांग्रेस सदस्यता खत्म करने की अपील करेगी। पहले कहा जा रहा था कि वे इस्तीफा दे सकते हैं और लोकसभा के साथ साथ तिरुवनंतपुरम सीट पर उपचुनाव हो सकता है। यह प्रस्ताव अब भी विचाराधीन है। दूसरी ओर थरूर का कहना है कि वे कांग्रेस के खिलाफ नहीं बोल रहे हैं और न कांग्रेस छोड़ने के बारे में सोच रहे हैं। लेकिन अर्थव्यवस्था से लेकर कूटनीतिक तक उनके बयान कांग्रेस की लाइन से पूरी तरह अलग होते हैं। यह अनायास नहीं है। आखिर वे चौथी बार के सांसद हैं और उनके बयानों की भिन्नता चौथे कार्यकाल में ही दिखनी शुरू हुई है।
