पूरे देश में एक साथ चुनाव कराने के लिए लाए गए संविधान के 129वें संविधान संशोधन विधेयक पर संयुक्त संसदीय समिति यानी जेपीसी विचार कर रही है। इस जेपीसी की अध्यक्षता भाजपा के नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री पीपी चौधरी कर रहे हैं। इस संयुक्त संसदीय समिति का कार्यकाल संसद के शीतकालीन सत्र में समाप्त हो रहा है। सत्र के आखिरी हफ्ते के पहले दिन यानी 15 दिसंबर को इसका कार्यकाल समाप्त हो जाएगा। लेकिन अभी इस समिति का बहुत काम बाकी है। जेपीसी अभी सलाह मशविरा करने की स्टेज में है और रिपोर्ट तैयार करने का समय नहीं आया है। इसलिए पीपी चौधरी ने कहा है कि वे जेपीसी के लिए समय विस्तार की मांग करेंगे। इसे अगले सत्र यानी फरवरी में होने वाले बजट सत्र के आखिरी हफ्ते तक का समय दिया जा सकता है। ध्यान रहे अगले साल की जनगणना और परिसीमन के बाद इस समिति की रिपोर्ट पर अमल की तैयारी होगी।
इस बीच खबर है कि विधि आयोग ने इस बिल का आकलन कर लिया है। उसने कहा है कि इस विधेयक के जरिए संविधान के बुनियादी ढांचे के सिद्धांत का कहीं भी उल्लंघन नहीं हो रहा है। इसके साथ ही यह भी कहा है कि इस विधेयक के जरिए संविधान के ऐसे किसी प्रावधान को नहीं बदला जा रहा है, जिसके लिए राज्यों की विधानसभाओं की मंजूरी की जरुरत हो। विधि आय़ोग ने कहा है कि संविधान के अनुच्छेद 368 के ऐसे प्रावधान नहीं बदले जा रहे हैं, जिसके लिए आधे राज्यों की विधानसभा से विधेयक को मंजूर कराने की जरुरत हो। इससे जेपीसी का काम आसान हो गया है। कहा जा रहा है कि सरकार को लग रहा है कि संविधान के बुनियादी ढांचे के उल्लंघर और राज्यों की मंजूरी के विषय पर यह मामला अदालत में जा सकता है। विधि आय़ोग की राय के बावजूद ऐसा हो सकता है। लेकिन अब सरकार के पास एक आधार होगा और जेपीसी को भी अपनी रिपोर्ट तैयार करने का एक आधार मिल गया है।
