पश्चिम बंगाल सहित 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण यानी एसआईआर का काम चल रहा है। इनमें सबसे ज्यादा विवाद बंगाल में ही हो रहा है। वहां ममता बनर्जी सड़क पर उतर कर विरोध कर रही हैं और उनकी पार्टी के सांसदों ने दिल्ली में चुनाव आयोग से मुलाकात कर इसका विरोध किया है। उनकी पार्टी आरोप लगा रही है कि पश्चिम बंगाल में एक करोड़ नाम काटने की साजिश हो रही है। लेकिन ऐसा लग रहा है कि पश्चिम बंगाल में एसआईआर का काम उसी लाइन पर हो रहा है, जिस लाइन पर बिहार में हुआ। बंगाल में भी करीब 70 लाख नाम कट सकते हैं और 20 लाख से कुछ ज्यादा नाम जुड़ेंगे। यानी वहां भी बिहार की तरह मौजूदा मतदाता सूची में 50 लाख नाम कम हो सकते हैं।
इस निष्कर्ष का कारण यह है कि अभी जब 75 फीसदी तक मतगणना प्रपत्र जमा हुए हैं और एक हफ्ते का समय बचा हुआ तब तक 15 लाख मृत मतदाताओं की पहचान होने की खबर है। ऐसा आयोग के सूत्रों के हवाले से कहा जा रहा है। ध्यान रहे बिहार में कुल 22 लाख मृत मतदाताओं के नाम काटे गए थे। बंगाल और बिहार दोनों जगह मतदाताओं की संख्या लगभग बराबर है। एसआईआर से पहले बिहार में 7.89 करोड़ मतदाता थे और बंगाल में 7.60 करोड़ हैं। बिहार में 22 लाख मृत मतदाताओं के अलावा 37 लाख नाम ऐसे लोगों के थे, जो स्थायी रूप से शिफ्ट हो गए हैं और उसके बाद सात लाख के करीब नाम ऐसे थे, जो एक से ज्यादा जगह पर थे। बाद में 3.66 लाख नाम और कटे। बंगाल में भी 20 लाख के आसपास मृत मतदाता निकलेंगे और बिहार के अनुपात में ही बाकी दो श्रेणियों में नाम कटेंगे। बिहार में जाति, धर्म या क्षेत्र किसी भी पैमाने पर अनुपात से ज्यादा नाम नहीं कटे थे।
