गडकरी ट्रोलिंग का नया टारगेट हैं

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भारतीय जनता पार्टी में सब कुछ ठीक नहीं होने की कहानियां अब पुरानी भी हो गईं और थम भी गई हैं। आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने 75 साल में रिटायर होने वाले सिद्धांत को ठंडे बस्ते में डाल दिया है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ खुल कर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की तारीफ कर रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चीन से फिर दोस्ती कर ली है। यह भी तय हो गया है कि भाजपा का संगठन वही चलाएगा, जिसको नरेंद्र मोदी चाहेंगे। उत्तर प्रदेश और गुजरात सहित दूसरे राज्यों में प्रदेश अध्यक्षों की नियुक्ति जब मोदी चाहेंगे तब होगी। चाहे उप राष्ट्रपति चुनाव के बाद हो या बिहार चुनाव के बाद हो, कोई फर्क नहीं पड़ता है। मंत्रिपरिषद का विस्तार भी जब होना होगा तब होगा। इन सबके बीच एक नया घटनाक्रम यह है कि राइटविंग ट्रोलर्स का नया निशाना नितिन गडकरी हैं। पिछले कुछ दिनों से उनको हर बात के लिए टारगेट किया जा रहा है। टोल टैक्स के लिए, इथेनॉल ब्लेंडिंग के लिए, एनएचएआई पर बढ़ते कर्ज के लिए, बेटों की इथेनॉल फैक्टरी के लिए, देश की सड़कों को अमेरिका की तरह बना देने के दावों के लिए, उनके हर बात के लिए ट्रोल किया जा रहा है।

एक समय था, जब नितिन गडकरी सबसे चहेते मंत्री थे। भाजपा के समर्थकों के बीच उनकी गजब लोकप्रियता थी। सब मानते थे कि एक यही मंत्री है, जो काम कर रहा है और जिसने पूरे देश की सड़कों का कायाकल्प कर दिया। लेकिन फिर उन्होंने परोक्ष रूप से मोदी सरकार के कामकाज और फैसलों पर सवाल उठाने शुरू किए। उनके बारे में सूत्रों के हवाले से खबर आई और यह खबर भी भाजपा व संघ से जुड़े लोगों ने ही फैलाई कि अगर 17 सितंबर को 75 साल का होने पर नरेंद्र मोदी इस्तीफा नहीं देंगे तो नितिन गडकरी नैतिकता के आधार पर उनकी सरकार से इस्तीफा दे देंगे। इस तरह की खबरें प्रचारित होने के बाद ही उनकी ट्रोलिंग शुरू हुई।

उनका मजाक बनाने, उनके ऊपर मीम्स बनाने और उनके मंत्रालय के कामकाज पर सवाल उठाने का काम व्यवस्थित तरीके से कम से कम एक दर्जन लोकप्रिय सोशल मीडिया हैंडल्स से किया जा रहा है। ये सब राइटविंग को प्रमोट करने वाले अकाउंट्स हैं। इसके अलावा घोषित राइटविंग समर्थक इनफ्ल्यूएंसर्स ने भी गडकरी को टारगेट किया। सबसे पहले यह प्रचार शुरू हुआ कि गडकरी ने राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण यानी एनएचएआई को कर्ज में डुबो दिया। कहा गया कि प्रधानमंत्री से उनकी नहीं बन रही है इसलिए उनके मंत्रालय के बजट में कटौती कर दी गई है। इसके बाद शुरू हुई टोल टैक्स के लिए ट्रोलिंग। अगर कोई इसको लेकर बने मीम्स की संख्या गिने तो गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज हो जाए। गडकरी को टोल किंग बताया गया और फिल्मी डायलॉग्स के आधार पर टोल से जुड़े डायलॉग्स बनाए गए। ऐसा लगा, जैसे गडकरी टोल वसूल कर अपनी जेब भर रहे हैं। टोल की नीति के लिए किसी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना नहीं साधा। समूचा हमला गडकरी पर हुआ।

इसके बाद यह खबर आई कि ईंधन में इथेनॉल मिलाने से गाड़ियों के इंजन पर असर हो रहा है और उनकी माइलेज बिगड़ रही है। इस शोध के आधार पर गडकरी फिर निशाने पर आए। हालांकि 2030 तक 20 फीसदी इथेनॉल ब्लेंडिंग का फैसला सरकार का था, जिसे 2025 तक ही पूरा कर लिया गया। दूसरे गडकरी कभी भी पेट्रोलियम मंत्री नहीं रहे। लेकिन निशाना गडकरी बने। उनके बेटे की कंपनी का हवाला दिया गया और बताया गया कि सायन एग्रो उनके बेटे निखिल गडकरी की है, जिसके शेयरों के दाम 22 गुना बढ़ा है और कंपनी का राजस्व जो 2021 में 5,990 करोड़ था वह वह 2024 में 9,591 करोड़ हो गया। इस मसले पर गडकरी की ट्रोलिंग में भाजपा विरोधी और भाजपा समर्थक दोनों शामिल हैं। इसे लेकर हजारों यूट्यूब वीडियो बने हैं और लाखों पोस्ट फेसबुक, एक्स और इंस्टाग्राम पर है। गडकरी पर सोशल मीडिया ट्रोल्स की यह मेहरबानी अनायास नहीं है। कहीं से तो उनको खबरें और हवा मिल रही है।


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