नई दिल्ली। अरावली की पहाड़ियों को बचाने के लिए राजस्थान में चल रहे आंदोलन और देश भर से उठ रही आवाजों के बीच केंद्र सरकार ने बड़ा फैसला किया है। केंद्रीय वन, पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने आदेश दिया है कि अरावली शृंखला की पहाड़ियों में कहीं भी माइनिंग के लिए अब कोई नई लीज नहीं दी जाए। सरकार ने कहा है कि पूरी अरावली शृंखला को बचाया जाएगा और इसलिए अरावली के पूरे क्षेत्र में किसी भी तरह की नई माइनिंग के लिए लाइसेंस या लीज नहीं दी जाएगी।
इसका मतलब है कि अब इस पर्वत शृंखला में कोई खनन नहीं होगा। केंद्र सरकार की ओर से कहा गया है कि यह पाबंदी गुजरात, राजस्थान, हरियाणा और दिल्ली तक करीब सात सौ किलोमीटर में फैली पूरी अरावली पर्वत शृंखला पर समान रूप से लागू होगी। इससे अवैध खनन पर भी रोक लगेगी। सरकार के इस फैसले का मुख्य उद्देश्य पहाड़ों में हो रहे अवैध और अनियमित खनन को पूरी तरह रोकना है।
केंद्र सरकार के आदेश में कहा गया है कि संरक्षित क्षेत्र का विस्तार किया जाएगा। सरकार ने कहा कि अरावली की रक्षा से कोई समझौता नहीं होगा। यह भी कहा गया कि अब तक बांटे गए माइनिंग लीज के नियम और सख्त किए जाएंगे। केंद्रीय वन, पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने इसके लिए राज्यों को निर्देश जारी किए हैं। गौरतलब है कि पिछले महीने दिए सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश के बाद अरावली को लेकर विवाद खड़ा हो गया था। अदालत ने कहा है कि एक सौ मीटर से ज्यादा ऊंचाई वाले पहाड़ों को ही अरावली शृंखला का हिस्सा माना जाएगा। इससे 90 फीसदी से ज्यादा अरावली असुरक्षित हो जाती है। इस फैसले के खिलाफ याचिका दायर की गई है, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने स्वीकार कर लिया है।
