नई दिल्ली। महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार योजना यानी मनरेगा की जगह लेने के लिए लाए गए विकसित भारत गारंटी फॉर रोजगार एंड आजीविका मिशन ग्रामीण यानी वीबी जी राम जी बिल को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मंजूरी दे दी है। संसद के शीतकालीन सत्र के आखिरी तीन दिन में विधेयक को लाकर, आधी रात के बाद तक चर्चा करा कर केंद्र सरकार ने इसे पास कराया था। 17 और 18 दिसंबर की चर्चा के बाद इसे पास किया गया था। राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद यह कानून बन गया।
इस कानून में ग्रामीण परिवारों के लिए कानूनी रूप से रोजगार की गारंटी को बढ़ा कर एक सौ से 125 कर दिया गया है। विपक्षी पार्टियों ने इसका नाम बदलने को महात्मा गांधी का अपमान बताया और साथ ही यह भी कहा कि सरकार ने रोजगार की गारंटी खत्म कर दी और राज्यों पर वित्तीय बोझ बढ़ा दिया है। इस कानून के मुताबिक 40 फीसदी खर्च राज्य सरकारों को देना होगा।
दूसरी ओर केंद्र सरकार ने कहा है कि पिछले दो दशकों में ग्रामीण भारत की आर्थिक स्थिति, डिजिटलीकरण और कनेक्टिविटी में भारी बदलाव आया है। ऐसे में पुराने ढांचे में सुधार के बजाय एक नया वैधानिक ढांचा जरूरी था। सरकार का कहना है कि यह नया बिल ग्रामीण रोजगार को ‘विकसित भारत 2047’ के विजन से जोड़ता है।
