नई दिल्ली। चुनाव सुधारों पर चर्चा का बुधवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने जवाब दिया। उन्होंने एक दिन पहले मंगलवार को लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी की ओर से उठाए गए सवालों का एक एक करके जवाब दिया। अमित शाह ने चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति का नियम बदले जाने पर कहा कि आजादी के बाद 73 साल तक प्रधानमंत्री ही चुनाव आयुक्तों को नियुक्त करते थे लेकिन अब तीन लोगों की कमेटी चयन करती है। उन्होंने सीसीटीवी फुटेज डिलीट किए जाने और चुनाव आयुक्त को मुकदमे से छूट देने के प्रावधान का भी जवाब दिया।
गौरतलब है कि मंगलवार को राहुल गांधी और समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने चुनाव आयुक्तियों की नियुक्ति का नियम बदले जाने पर सवाल उठाया था। इसका जवाब देते हुए बुधवार को अमित शाह ने कहा, ‘73 साल तक चुनाव आयोग कि नियुक्ति का कानून नहीं था। पीएम सीधे नियुक्ति करते थे। अभी तक जितने चुनाव आयुक्त हुए सभी ऐसे ही हुए हैं’। 1950-1979 तक प्रधानमंत्री ने ही चुनाव आयुक्त की नियुक्ति की’। उन्होंने आगे कहा, ‘चुनाव आयोग बनने के बाद भी पीएम की सिफारिश पर ही आयुक्त बने, इस बीच 21 आयुक्त बनाए गए। 2023 तक कोई कानून नहीं था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इसमें पारदर्शिता होनी चाहिए, तब हमने कहा कि हमें दिक्कत नहीं है। हमने कहा कि जब तक कानून नहीं बनता सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में सब कुछ हो। इसके बाद कानून बना’।
सीसीटीवी फुटेज 45 दिन में डिलीट करने के नियम पर शाह ने विपक्ष की ओर इशारा करके कहा, ‘इन्होंने चुनाव आयोग के सीसीटीवी फुटेज 45 दिन में नष्ट करने की आपत्ति जताई। जन प्रतिनिधित्व कानून, 1991 में साफ लिखा के 45 दिन बाद इसे कोई चुनौती नहीं दे सकता। जब 45 दिन में कोई आपत्ति नहीं आई तो चुनाव आयोग इसे क्यों रखें’? उन्होंने कहा, ‘सीसीटीवी रिकॉर्डिंग संवैधानिक दस्तावेज नहीं है। आंतरिक प्रबंधन है, फिर भी आयोग ने कहा कि सामान्य जनता को एक्सेस मिल सकता है। कोई भी 45 दिन में शीर्ष अदालत में जाकर इसे मांग सकता है’।
चुनाव आयुक्तों को मुकदमे से छूट देने के मामले में शाह ने कहा, ‘आरोप लगाया कि मुख्य चुनाव आयोग को कानून बनाकर इम्युनिटी दी। जन प्रतिनिधित्व कानून, 1951 से ज्यादा उन्हें कोई इम्युनिटी नहीं दी गई है। 2023 के कानून में भी प्रावधान पहले वाला ही है कि मुख्य चुनाव आयुक्त के खिलाफ कोई केस नहीं कर सकता’। वीवीपैट को लेकर अमित शाह ने कहा कि हजारों वीवीपैट मशीनों का मिलान ईवीएम से किया गया है लेकिन आजतक एक भी गड़बड़ी नहीं मिली है। गौरतलब है कि पांच फीसदी मशीनों का मिलान वीवीपैट की पर्चियों से किया जाता है।
