नई दिल्ली। लोकसभा के बाद मंगलवार को राज्यसभा में वंदे मातरम् पर चर्चा हुई। राज्यसभा में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने चर्चा की शुरुआत की। उन्होंने राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा को निशाना बनाया और कहा कि वंदे मातरम् का विरोध करना इस परिवार के खून में है। उन्होंने इस बात से इनकार किया कि इस चर्चा का पश्चिम बंगाल चुनाव से कोई संबंध है। अमित शाह ने वंदे मातरम् का विरोध करने वाले नेताओं की एक सूची भी स्पीकर को सौंपी है।
इससे पहले अपने भाषण में अमित शाह ने कहा कि जवाहरलाल नेहरू ने 1937 में वंदे मातरम् के केवल दो अंतरों को मान्यता दी थी। यहीं से देश में तुष्टीकरण की राजनीति शुरू हुई। उन्होंने कहा, ‘इस तरह के फैसलों ने आगे चलकर देश के विभाजन का रास्ता तैयार किया। अगर उस समय पूरा वंदे मातरम् स्वीकार किया जाता तो शायद भारत का विभाजन न होता’।
अमित शाह ने मंगलवार को कहा, ‘जब वंदे मातरम एक सौ साल का हुआ, पूरे देश को बंदी बना दिया गया। जब 150 साल पर कल सदन में चर्चा शुरू हुई, गांधी परिवार के दोनों सदस्य नदारद थे। वंदे मातरम् का विरोध नेहरू से लेकर आज तक गांधी परिवार के खून में है’। गौरतलब है कि वंदे मातरम् के डेढ़ साल पूरे होने पर सोमवार को लोकसभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चर्चा की शुरुआत की थी। जिस समय चर्चा शुरू हुई उस पर राहुल और प्रियंका दोनों मौजूद नहीं थे। हालांकि बाद में प्रियंका गांधी वाड्रा ने इस पर भाषण दिया।
बहरहाल, अमित शाह ने अपने भाषण में कहा, ‘जो लोग वंदे मातरम् के महत्व को नहीं जानते वे इसे चुनाव से जोड़ रहे हैं’। गौरतलब है कि सोमवार को लोकसभा में प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा था, ‘वंदे मातरम् गीत 150 साल से देश की आत्मा का हिस्सा है। आज इस पर बहस क्यों हो रही है? मैं बताती हूं, क्योंकि बंगाल का चुनाव आ रहा। मोदी जी उसमें अपनी भूमिका निभाना चाहते हैं’।
