गजा लड़ाईबंदी के मौके को बड़ा इवेंट बनाने इजराइल और फिर मिस्र पहुंचे ट्रंप ने एलान किया कि युद्ध रुक गया है, तो दुनिया ने उस पर सहज यकीन किया। मगर ये सवाल कायम है कि यह ‘शांति’ कितनी टिकाऊ होगी?
डॉनल्ड ट्रंप की 20 सूत्री ‘शांति योजना’ के तहत गजा में लड़ाई रुकने से विवाद से जुड़े सभी पक्षों ने राहत की सांस ली है। वैसे राहत दुनिया भर में महसूस की गई है, जहां लोग इजराइली हमलों से रोज हो रही मौतों और तबाही की खबरों से व्यग्र थे। ट्रंप योजना के तहत हुए समझौते के पहले चरण के तहत गजा में इजराइली हमले रुके हैं और इजराइली फौज कथित पीली रेखा तक लौट गई है। इससे विस्थापित हुए गजावासियों की अपने स्थान पर वापसी शुरू हो सकी है। इजराइल और हमास ने बंधकों की रिहाई भी शुरू की है। इस पृष्ठभूमि में जब लड़ाईबंदी के मौके को बड़ा इवेंट बनाने पहले इजराइल और फिर मिस्र पहुंचे ट्रंप ने एलान किया कि युद्ध रुक गया है, तो दुनिया ने उस पर सहज यकीन किया।
मगर उसके साथ ही ये सवाल उठा है कि यह ‘शांति’ कितनी टिकाऊ होगी? हमास और अरब देशों की निगाह से देखें, तो ट्रंप की योजना में स्वतंत्र फिलस्तीन राज्य के निर्माण का पहलू गायब है, जबकि 77 साल से फिलस्तीनी उसी लक्ष्य के लिए संघर्ष जारी रखे हुए हैं। समझौते के पहले चरण को कार्यरूप देने के लिए आयोजित शर्म अल-शेख शहर में हुए अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के दौरान मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतह अल-सीसी ने भी कहा कि शांति समझौते के अगले चरण का मुद्दा फिलस्तीनी राज्य की स्थापना होगा। मगर क्या इजराइल इसके लिए राजी होगा?
फिलहाल, लड़ाई रोकने पर वह इसलिए राजी हुआ, क्योंकि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उसका परायापन बढ़ रहा था, जबकि अमेरिका अंदर बदले जनमत एवं अपने मागा आंदोलन में इजराइल के सवाल पर पड़ी फूट के कारण लड़ाई रोकना ट्रंप की प्राथमिकता बन गई थी। कतर पर इजराइली हमले के बाद पश्चिम एशिया में अमेरिका की साख दांव पर लगी हुई थी। इन हालात में हुए युद्धविराम से ट्रंप प्रशासन ने राहत महसूस की है, जबकि इजराइल और वहां के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू को अपने बुने मकड़जाल से निकलने का एक रास्ता मिला है। फिलस्तीनियों को रोजमर्रा की मौतों से राहत मिली है। इसके बावजूद आगे का रास्ता अब भी धुंधला ही है।
