अब तो बहस छिड़े

Categorized as संपादकीय

लोकतंत्र में विचार जताने की आजादी पर कोई तलवार नहीं लटकनी चाहिए। अधिक से अधिक यह हो सकता है कि मानहानि दीवानी श्रेणी का अपराध रहे, हालांकि इसके तहत भी प्रतीकात्मक दंड का प्रावधान ही होना चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट के यह टिप्पणी स्वागतयोग्य है कि मानहानि को अपराध की श्रेणी से हटाने का समय आ गया है। जस्टिस एम.एम. सुंदरेश और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने ये बात कही। जेएनयू की एक पूर्व प्रोफेसर द्वारा एक वेबसाइट के खिलाफ दायर आपराधिक मानहानि मामले की सुनवाई के दौरान उन्होंने ये टिप्पणी की। बचाव पक्ष ने इस दौरान जिन मामलों का जिक्र किया, उनमें कांग्रेस नेता राहुल गांधी के खिलाफ दायर मुकदमे भी हैँ। हाल के वर्षों में ऐसे मामलों की संख्या इतनी बढ़ गई है कि संविधान से मिली अभिव्यक्ति की आजादी का अर्थ संदिग्ध होने लगा है। बेशक भारतीय संविधान में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर ‘विवेक सम्मत सीमाएं’ लगाई गई हैं, मगर इन सीमाओं का दायरा क्या है, यह सवाल लगातार महत्त्वपूर्ण होता चला गया है। कारण मानहानि के प्रावधान का दुरुपयोग है।

भारतीय दंड संहिता की धारा 499 और 500 के तहत मानहानि को फौजदारी जुर्म थी। आशा थी कि नई बनी भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) में औपनिवेशिक युग के इस प्रावधान को हटाया जाएगा। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। बीएनएस की धारा 356 के तहत इसे अपराध बनाए रखा गया। जबकि विकसित लोकतांत्रिक देशों में बहुत पहले ऐसे प्रावधान हटाए चुके हैं। इसके पीछे समझ यह है कि लोकतंत्र में विचार जताने की आजादी पर कोई तलवार नहीं लटकनी चाहिए। अधिक से अधिक यह हो सकता है कि मानहानि दीवानी श्रेणी का अपराध रहे, हालांकि इसके तहत भी प्रतीकात्मक दंड का प्रावधान ही होना चाहिए।

बहस लोकतंत्र का आधार है। इसलिए इस व्यवस्था में किसी को लगता हो कि किसी बात से उसकी प्रतिष्ठा पर आंच आई है, तो उचित यह है कि वह तथ्यों से उसका खंडन कर दे। लेकिन उस बात को लेकर किसी को जेल भेजवाने की सोच लोकतंत्र की भावना के अनुरूप नहीं है। इसीलिए सुप्रीम कोर्ट की ताजा टिप्पणी महत्त्वपूर्ण है। हालांकि यह न्यायिक निर्णय नहीं है। फिलहाल यह कोर्ट की राय भर है। फिर भी इससे संदेश गया है कि मानहानि जैसे प्रावधान का आधनिक युग में कोई स्थान नहीं है। संसद को इस भावना और तकाजे पर तुरंत ध्यान देना चाहिए।


Previous News Next News

More News

इंदौर में दूषित पानी पीने से हुई मौत पर तीन अफसरों पर कार्रवाई

December 31, 2025

मध्य प्रदेश की व्यापारिक नगरी इंदौर के भागीरथपुरा इलाके में दूषित पानी पीने से हुई मौतों के मामले में मुख्यमंत्री मोहन यादव ने सख्त एक्शन लिया है और तीन अधिकारियों पर कार्रवाई की है।  दरअसल, भागीरथपुरा इलाके में दूषित पानी पीने के बाद लोगों को उल्टी की शिकायत हुई, जिनमें से कई लोग अस्पताल में…

सरकार का बड़ा फैसला, हाई-डोज निमेसुलाइड दवाओं पर लगाई रोक

December 31, 2025

सरकार ने दर्द और बुखार की दवाओं की उन सभी ओरल दवाओं के निर्माण, बिक्री और वितरण पर तुरंत प्रभाव से रोक लगा दी है, जिनमें निमेसुलाइड 100 मिलीग्राम से अधिक मात्रा में होता है और जो तुरंत असर करने वाली (इमीडिएट-रिलीज) होती हैं।  यह दवा ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट, 1940 की धारा 26ए के…

सरकार का बड़ा फैसला, हाई-डोज निमेसुलाइड दवाओं पर लगाई रोक

December 31, 2025

सरकार ने दर्द और बुखार की दवाओं की उन सभी ओरल दवाओं के निर्माण, बिक्री और वितरण पर तुरंत प्रभाव से रोक लगा दी है, जिनमें निमेसुलाइड 100 मिलीग्राम से अधिक मात्रा में होता है और जो तुरंत असर करने वाली (इमीडिएट-रिलीज) होती हैं।  यह दवा ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट, 1940 की धारा 26ए के…

डिलीवरी और ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म से जुड़े वर्कर्स ने फिक्स सैलरी और सुरक्षा की मांग उठाई

December 31, 2025

प्रमुख डिलीवरी और ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म से जुड़े वर्कर्स का आक्रोश बढ़ता जा रहा है। बुधवार को कई शहरों में गिग वर्कर्स ने हड़ताल का ऐलान किया है। इसी बीच, डिलीवरी पार्टनर्स का कहना है कि उनसे 14 घंटे तक काम लिया जाता है, लेकिन उसके हिसाब से कंपनियां पैसा नहीं देती हैं।  दिल्ली में समाचार…

डिलीवरी और ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म से जुड़े वर्कर्स ने फिक्स सैलरी और सुरक्षा की मांग उठाई

December 31, 2025

प्रमुख डिलीवरी और ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म से जुड़े वर्कर्स का आक्रोश बढ़ता जा रहा है। बुधवार को कई शहरों में गिग वर्कर्स ने हड़ताल का ऐलान किया है। इसी बीच, डिलीवरी पार्टनर्स का कहना है कि उनसे 14 घंटे तक काम लिया जाता है, लेकिन उसके हिसाब से कंपनियां पैसा नहीं देती हैं।  दिल्ली में समाचार…

logo