हम सभी एक नाव पर सवार हैं। यूरोप, अमरीका, भारत और चीन – सभी एक साथ बेइंतहा पसीना बहा रहे हैं। विडंबना है कि धरती के इतना ज्यादा गर्म होने के लिए बहुत हद तक हम खुद ही जिम्मेदार भी हैं।दुनिया को इस साल वसंत का अहसास ही नहीं हुआ! अप्रैल में हमें लू के थपेड़े झेलने पड़े। अल्जीरिया, मोरक्को, पुर्तगाल और स्पेन में तापमान सामान्य से कहीं ज्यादा है। इस बीच, समय से पहले आई बरसात ने भारत में आम के मौसम में खलल डाली। जहां दूसरी जगहों जुलाई गर्म है वही हमारे यहाँ गर्मी और उमस दोनों हैं जो कि एक जानलेवा जुगलबंदी है।
