ट्रंप अब मनोरंजन है!

डोनाल्ड ट्रंप को सुनना आजकल एक अजीब तरह का मनोरंजन है। आदमी बेतुकी बातें ऐसे आत्मविश्वास से कहता है कि आप चाहकर भी आधे अविश्वास, आधी हँसी में नज़रें नहीं हटा पाते। हालाँकि ऐसा हमेशा नहीं था। उनकी पहली राष्ट्रपति पारी लोगों में गुस्सा पैदा करती थी। अमेरिका जैसे पढ़े-लिखे और समझदार लोकतंत्र का एक… Continue reading ट्रंप अब मनोरंजन है!

अरे इतनी हिम्मत? अपनी बेतुकियों पर हँसने की!

सच मानिए, बॉलीवुड ठहर गया है। पिछले कुछ सालों में जो फ़िल्में आईं, वे आईं और चली गईं। बिना कोई छाप, हलचल छोड़े और  बिना किसी फ्रेम को यादगार बनाए। वह इंडस्ट्री जो कभी सपने बेचती थी, अब पूरी तरह फ़ॉर्मूलों में सिमट चुकी है: फूले हुए बजट, सुरक्षित कहानियाँ, रीमेक के रीमेक। यहाँ तक… Continue reading अरे इतनी हिम्मत? अपनी बेतुकियों पर हँसने की!

पाकिस्तान को कम आंकना बंद करें!

पाकिस्तान को कम मत आंकिए। मुनीर की कमान में वह महत्वाकांक्षा और ताक़त दोनों को फिर से हासिल कर रहा है। एक नया त्रिकोण बन रहा है: पाकिस्तान के पास ट्रंप हैं सहारे के लिए, चीन हथियार देने को, तुर्की शौर करने को, और अब सऊदी अरब धन देने को। ब्रहमा चेलानी की हाल में… Continue reading पाकिस्तान को कम आंकना बंद करें!

पर गाजा की कहानी नहीं बदलेगी!

यों कहानी कुछ नहीं बदलेगी। यदि कुछ बदलेगा भी तो बस इतना कि दुनिया और गहरी अनिश्चितता में धंस जाएगी। ब्रिटेन, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया  तीनों ने दुर्लभ सामंजस्यता में फ़िलीस्तीन को एक राष्ट्र के रूप में मान्यता देने की नैतिक तत्परता दिखाई है। इसकी घोषणा के समय का चुनाव, बेशक, बहुत कुछ कहता है: मान्यता… Continue reading पर गाजा की कहानी नहीं बदलेगी!

हंसी पर ताला, गुस्से को आज़ादी!

कॉमेडी, मजाक जब खामोश हो जाए तो क्या होगा? खासकर यदि सार्वजनिक जीवन से हास्य को कोड़ा मारकर बेदखल कर दिया जाए, तब?  सबकुछ  नीरसता, उदासीनता में ढलेगा।  न विवेकशील रहेंगे और न कल्पनाशक्ति में जिंदादिलह। तब गुस्सा छोटा होता जाता है और हवा भारी। तब हर असहमति गुस्से में बदलती है। हम सत्ता पर… Continue reading हंसी पर ताला, गुस्से को आज़ादी!

नेतन्याहू का अंतहीन युद्ध

यह सवाल हर बार और ज़्यादा डरावना हो उठता है- आखिर बेंजामिन नेतन्याहू रूक क्यों नहीं रहे? बमबारी क्यों जारी रखते हैं? क्या वे कभी रुकने का, लड़ाई थामने का इरादा भी रखते हैं? इज़राइल को कितनी राजधानियों को निशाना बनानी है? इससे पहले कि वह खुद से पूछे: आख़िर किस मक़सद के लिए? सात… Continue reading नेतन्याहू का अंतहीन युद्ध

दक्षिण एशिया की जेन-जेड का सच

नेपाल से उठा धुआँ भारत के सोशल मीडिया में सरक आया है। बुधवार की सुबह से जेन-जेड का नैरेटिव चर्चा में है। कहने वाले कह रहे हैं कि भारत के युवा नेपाल से अलग हैं। उन्हे भले बेरोज़गारी और अमीरी-गरीबी की खाई चुभती हों, बावजूद इसके उन्हें भक्ति और तमाशा ज़्यादा पसंद है। क्या सचमुच?… Continue reading दक्षिण एशिया की जेन-जेड का सच

राजपक्षे, हसीना, ओली और निठल्ले नौजवानों का ग़ुस्सा

निठल्ले नौजवान जितने दिल्ली में हैं, उतने ही काठमांडू, ढाका, कोलंबो मतलब पूरे दक्षिण एशिया में हैं। इन निठल्लों ने दक्षिण एशिया के तीन राष्ट्रपतियों और प्रधानमंत्रियों के इस्तीफे कराए। उन्हें दौड़ाया, भगाया। कोलंबो, ढाका, काठमांडू ने यह भी बताया कि राजपक्षे, हसीना वाजेद और ओली भले राष्ट्रवादी होने, “56 इंची छाती” या “लौह महिला”… Continue reading राजपक्षे, हसीना, ओली और निठल्ले नौजवानों का ग़ुस्सा

‘परेशानी’ (नलों में सीवरेज पानी) का अमृतकाल!

“परेशानी” कहे या ‘असुविधा’,  यह शब्द हम भारतीयों के रोजाना का अनुभव है। हर व्यक्ति, हर घर, हर गली का स्थाई सच। भारत के लोगों के जीवन का ढंग है। और यह आम इसलिए है क्योंकि हम उस व्यवस्था, सिस्टम, उस तंत्र को सामान्य मानकर बड़े हुए हैं जिसमें शासन-प्रशासन नागरिक को तंग न करें… Continue reading ‘परेशानी’ (नलों में सीवरेज पानी) का अमृतकाल!

बाढ़ में डूबे तब भी ट्रोल के लिए राहुल!

इस साल का मानसून कोई मौसम नहीं बल्कि एक रहस्योद्घाटन है। भविष्य की भयावह चेतावनी है। बादलों के फटने और डूबते शहरों में लिखी वह सच्चाई है जिसे देश को लगातार झेलना होगा। अभी समय  है या जलवायु परिवर्तन के खतरे दूर है जैसे सभी भ्रम बह गए है। बाढ़ इबारत लिख रही है कि… Continue reading बाढ़ में डूबे तब भी ट्रोल के लिए राहुल!

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