सबके गले की फांस!

मराठाओं का महाराष्ट्र में जनसंख्या के साथ-साथ आर्थिक-राजनीतिक प्रभुत्व भी है, इसलिए उनका समर्थन पाने की होड़ में सभी दलों ने आरक्षण की उनकी मांग को हवा दी। अब मुद्दा ज्यादा भड़क गया है, तो सबको मुश्किलें नज़र आ रही हैं। मराठा आरक्षण का आंदोलन का चेहरा बने जरांगे पाटिल महाराष्ट्र में सभी राजनीतिक दलों… Continue reading सबके गले की फांस!

मोर्चा खुल गया है

गैर-भाजपा शासित आठ राज्यों की मांग है कि जीएसटी की 28 प्रतिशत और 12 प्रतिशत की दरों को खत्म करने के निर्णय के एवज में केंद्र पांच साल तक राज्यों को दो लाख करोड़ रुपये का मुआवजा देने पर राजी हो। गैर-भाजपा शासित आठ राज्यों ने जीएसटी में प्रस्तावित “सुधार” को लेकर मोर्चा खोल दिया… Continue reading मोर्चा खुल गया है

यही तो समस्या है

बड़ी कंपनियों से अपेक्षा महज सर्विस प्रोवाइडर बन जाने की नहीं है। अपेक्षा भारत में आरएंडडी का ढांचा बनाने की है। वरना, एआई के मामले में अमेरिका या चीन पर निर्भर बने रहना भारत की नियति बनी रहेगी। रिलायंस इंडस्ट्री के बारे में कभी कहा जाता था कि उसके प्रवर्तक अपने मातहतों को “बड़ा सोचने”… Continue reading यही तो समस्या है

सीज़र की पत्नी

लोकतंत्र में न्यायपालिका ही वह संस्था है, जिससे लोग संविधान, कानून और पूरी व्यवस्था की रक्षा की उम्मीद रखते हैँ। मगर लगता नहीं कि फिलहाल भारतीय न्यायपालिका सर्व-साधारण की पारदर्शिता संबंधी अपेक्षा का ख्याल कर रही है। सीज़र की पत्नी को हर तरह के संदेह से ऊपर होना चाहिए। यानी परिजनों समेत राजा को ऐसी… Continue reading सीज़र की पत्नी

अमेरिका की चाहत

दो बातें साफ हैं। ट्रंप प्रशासन को ‘आंख में आंख डाल कर’ बात करना और संप्रभुता का उल्लेख करना नागवार गुजरा है। कोई देश उससे बातचीत में अपने आर्थिक हितों की बात करे, यह उनके प्रशासन को मंजूर नहीं है। डॉनल्ड ट्रंप प्रशासन क्यों भारत से खफा हुआ, इसके राज़ खुद उनके अधिकारी खोल रहे… Continue reading अमेरिका की चाहत

तलवार गिर पड़ी है

ट्रंप के टैरिफ से भारत के 55 फीसदी निर्यात प्रभावित होंगे, जिनका मूल्य 47 से 48 बिलियन डॉलर है। अमेरिका का जो रुख है, उसे देखते हुए नहीं लगता कि निकट भविष्य में भारत को कोई रियायत मिलने जा रही है। अमेरिकी टैरिफ लागू होते ही ये चिंताजनक खबर आई है कि तिरुपुर, नोएडा, और… Continue reading तलवार गिर पड़ी है

हवाई बातों से क्या होगा?

यूबीआई के पीछे विचार यह है कि वर्तमान आर्थिक नीतियों से जिन लोगों की जिंदगी मुहाल हो गई है, उनके जख्मों पर प्रत्यक्ष धन हस्तांतरण के जरिए महरम लगाया जाए। लेकिन अब साफ है कि वर्तमान सरकार उसकी जरूरत महसूस नहीं कर रही है।

डायबिटीजः स्वास्थ्य इमरजेंसी

इन रोगों के काफी बड़े हिस्से का संबंध जीवन शैली से है। इस संबंध लोगों को जागरूक बनाना जरूरी है। वरना, इलाज की स्थितियां विकट हो जाएंगी- खासकर उस हाल में जब आउटडोर चिकित्सा अधिक से अधिक प्राइवेट सेक्टर के हाथ में जा रही है।

एआई से चिंतित दुनिया!

घूम-फिर कर सवाल यही आएगा कि क्या ऐसे कानूनों से वह चिंता दूर होगी, जिसके लिए ये सारी कवायद की जा रही है? अक्सर किसी नई तकनीक और उसके प्रभाव को रोकने में कानून अक्षम साबित होते हैं।

डेटा सुरक्षा में बड़ी सेंध

जिस युग में डेटा को सोना कहा जाता है, डेटा सुरक्षा के ऐसे हाल के साथ कोई भी देश सुरक्षित रहने और विकास मार्ग पर चलने को लेकर आश्वस्त नहीं हो सकता। सरकार को ताजा घटना का पूरा सच देश को बताना चाहिए।

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