देश में कितने तरह का ‘जिहाद’!

पिछले दिनों एक नए किस्म के जिहाद के बारे में सुनने को मिला। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने ‘नकल जिहाद’ को कामयाब नहीं होने देना की हुंकार भरी है। असल में पिछले दिनों उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग यानी यूकेएसएसएससी की परीक्षा का पेपर लीक हो गया। इस मामले में खालिद मलिक को… Continue reading देश में कितने तरह का ‘जिहाद’!

सरकार संवाद करे, जोर आजमाइश नहीं

जैसे ही कोई कहता है कि लद्दाख की घटना से सरकार को सबक लेना चाहिए वैसे ही उसको युवाओं को उकसाने वाला और देश विरोधी बताया जाने लगता है। लेकिन ऐसा नहीं है। लद्दाख की घटना से या उससे पहले पड़ोस के देशों बांग्लादेश, श्रीलंका और नेपाल की घटना से या फ्रांस से लेकर ब्रिटेन… Continue reading सरकार संवाद करे, जोर आजमाइश नहीं

राहुल गांधी अपना काम कर रहे हैं

देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस के असली सर्वोच्च नेता और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी क्या कुछ ऐसा कर रहे हैं, जो उनको नहीं करना चाहिए? यह बड़ा सवाल है क्योंकि वे जो कुछ भी करते हैं उस पर सत्तारूढ़ भाजपा की ओर से सवाल उठाया जाता है और सोशल मीडिया में सक्रिय… Continue reading राहुल गांधी अपना काम कर रहे हैं

जीएसटी 2.0 से क्या पूरी होंगी उम्मीदें?

वस्तु व सेवा कर यानी जीएसटी के दूसरे संस्करण का डंका बज रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे ‘बचत उत्सव’ का नाम दिया है। वे हर मंच से इसका प्रचार कर रहे हैं साथ ही लोगों से स्वदेशी खरीदने की अपील कर रहे हैं। सरकार के आर्थिक सलाहकार मान रहे हैं कि अमेरिका की… Continue reading जीएसटी 2.0 से क्या पूरी होंगी उम्मीदें?

क्रिकेट के मैदान में राजनीति का ड्रामा

आजकल टेलीविजन के इंटरव्यूज में रैपिड फायर राउंड होते हैं, जिनमें पूछा जाता है कि किसी व्यक्ति या घटना को एक शब्द में परिभाषित करें। अगर ऐसे किसी रैपिड फायर राउंड में भारत और इसके 140 करोड़ लोगों को एक शब्द में परिभाषित करने को कहा जाए तो वह शब्द क्या हो सकता है? निश्चित… Continue reading क्रिकेट के मैदान में राजनीति का ड्रामा

लद्दाख की अशांति सुरक्षा के लिए ठीक नहीं

लोकतंत्र में सरकार सामूहिक जिम्मेदारी के सिद्धांत पर चलती है। देश की उपलब्धियों और विफलताओं, दोनों की जवाबदेही सरकार पर होती है। ऐसा नहीं हो सकता है कि इसरो से लेकर भारतीय सेना तक की हर उपलब्धि का श्रेय तो सरकार खुद ले लेकिन मणिपुर से लेकर लेह तक हिंसा हो तो उसकी जिम्मेदारी दूसरे… Continue reading लद्दाख की अशांति सुरक्षा के लिए ठीक नहीं

चुनाव के मुद्दे बदल रहे हैं

भारत के चुनावों में गुणात्मक परिवर्तन आया है। चुनाव लड़ने का तरीका बदल गया है। चुनाव लड़ने वालों की नई पीढ़ी आ गई है और साथ साथ चुनाव के मुद्दे भी तेजी से बदल रहे हैं। हालांकि जाति और धर्म अपनी जगह अपनी भूमिका निभा रहे हैं। परंतु इनसे अलग बहुत सारी चीजें बदल गई… Continue reading चुनाव के मुद्दे बदल रहे हैं

अगड़ा-पिछड़ा राजनीति का दांव मुश्किल

बिहार विधानसभा चुनाव में बड़ी सावधानी से अगड़ा और पिछड़ा का दांव खेलने का प्रयास हो रहा है। राष्ट्रीय जनता दल के नेता अशोक महतो का यह बयान कि, ‘भूराबाल पूरी तरह से साफ कर देना है’, इसी राजनीति का संकेत है। इससे पहले राजद की प्रवक्ता सारिका पासवान और सवर्ण नेता आशुतोष कुमार के… Continue reading अगड़ा-पिछड़ा राजनीति का दांव मुश्किल

सरकारों को हराना अब मुश्किल है!

इस पर गंभीरता से अध्ययन करने की जरुरत है कि जो सरकार में है उसके हारने का अनुपात क्यों कम होता जा रहा है? यह भी देखने की जरुरत है कि क्या एंटी इन्कम्बैंसी यानी सत्ता विरोध, जो भारतीय राजनीति में हमेशा निर्णायक फैक्टर होता था उसकी प्रासंगिकता खत्म हो गई है? ये दो सवाल… Continue reading सरकारों को हराना अब मुश्किल है!

राहुल के आरोपों की जांच जरूरी

हालांकि राहुल गांधी जब तक चुनाव जीत नहीं जाते हैं, तब तक संतुष्ट नहीं होंगे और वोट चोरी के आरोप लगाते रहेंगे फिर भी वे जो आरोप लगा रहे हैं उनकी गहराई से जांच होनी चाहिए। आयोग को आगे आकर खुद जांच का ऐलान करना चाहिए और अगर हो सके तो सुप्रीम कोर्ट के मौजूदा… Continue reading राहुल के आरोपों की जांच जरूरी

logo